अब रिटेल कारोबारियों को हर महीने जीएसटी रिटर्न एक बार फाइल करना होगा

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विजय श्रीवास्तव
-मुनाफाखोरों पर नजर के लिए राष्ट्रीय मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण होगा गठित
-दिल्ली से लेकर पूरे देश में व्यापार में नोट बंदी का माहौल
वाराणसी। आखिरकार केन्द्र सरकार 1 जुलाई से जीएसटी व्यवस्था पूरे देश में लागू होने जा रही है। जीएसटी के घोषणा से पूरे देश के व्यापारियों में असंमजस की स्थिति बनी हुई है। रिटेलर से लेकर थोक व्यवसायी जीएसटी की बारिकियों को समझने में लगा है। दिल्ली से लगायत अधिकतर राज्यों में जीएसटी को लेकर व्यापार थम सा गया है। बड़े-बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों व मंडियों में नोट बन्दी जैसा सन्नाटा देखने को मिल रहा है। सरकार ने वैसे यह बताने में लगी है कि इससे व्यापारियों को कोई परेशानी नहीं होगी लेकिन इससे विशेष कर छोटे व्यापारी व रिटेलर भी काफी हद तक परेशान है। इस बीच इसी बीच सरकार ने कहा है कि रिटेल कारोबारियों को महीने में एक बार रिटर्न फाइल करना होगा। मुनाफाखोर कंपनियों पर नजर रखने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण गठित करने का प्रस्ताव दिया है। कोई भी कंपनी मुनाफाखोरी में लिप्त पाई जाने वाली किसी फर्म या इकाई का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार होगा।
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने बताया कि खुदरा कारोबारियों को हर महीने रसीद विवरण देने की कोई जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा, कि करीब 80 फीसदी कारोबारियों को रिटर्न में बस कुल कारोबार का ब्योरा देना होगा क्योंकि वे रिटेल कारोबारी हैं। उन्होंने कहा कि रिटर्न फाइलिंग बड़ा आसान है लोगों को फाइलिंग प्रक्रिया को लेकर चिंता करने की जरुरत नहीं है। यह बहुत पारदर्शी है और मशीन से होती है। नए नियमों के हिसाब से अगर कोई कंपनी या फर्म जीएसटी के तहत निम्न करों का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं देता, तो उसका लाइसेंस रद्द हो सकता है। साथ ही नई टैक्स सिस्टम के तहत यह अथॉरिटी कराधान में कमी को देखते हुए कीमत घटाने का आदेश दे सकता है।

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