-कपिल सिब्बल ने कहां-जून 2019 के बाद हो सुनवाई, इस पर हो सकती है राजनीति
-विवादित ढांचे को 1992 में गिराया गया था
-बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पूछा कि मंदिर प्रकरण पर राहुल गांधी जल्द सुनवाई क्यों नहीं चाहते, देश को बताए
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट अब अयोध्या मामले (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद) पर अगली सुनवाई 8 फरवरी 2018 को करेगा। मामले की सुनवाई आज चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और एस अब्दुल नाजिर की पीठ कर रही थी। मामले की सुनवाई के लिए वकील कपिल सिब्बल ने इस प्रकरण पर राजनीति होने के कारण 2019 का आम चुनाव प्रभावित होने की दशा में इसे जून 2019 के बाद कराने की मांग की वहीं सिब्बल सहित राजीव धवन और अन्य याचिकाकर्ताओं ने इसके लिए कम से कम 7 न्यायाधीशों की एक बड़ी बेंच की मांग की है। वैसे इस प्रकरण को लेकर भाजपा ने एक बार फिर हमला तेज कर दिया है।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि राहुल गांधी देश को बताये कि आखिर वे क्यों मंदिर प्रकरण पर शीघ्र सुनवाई नहीं चाहते हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि सुनवाई 2019 तक टाल दी जाए। जिसके बाद इस मुद्दे को लेकर बीजेपी ने सीधा कांग्रेस पर हमला बोल दिया है। राम मंदिर के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अमित शाह ने कहा कि बीजेपी चाहती है कि जल्द से इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो और फैसला आए। जिससे अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन सके, जो कि देश की आस्था से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर केस की सुनवाई को लेकर कांग्रेस पार्टी को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक तरफ राहुल गांधी गुजरात में मंदिर जा रहे है, तो दूसरी तरफ राम जन्मभूमि केस पर सुनवाई को टालने के लिए कपिल सिब्बल का उपयोग किया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी को अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कपिल सिब्बल ने कोर्ट में जो दलील दी वो बेहद हैरान करने वाली है। आखिर चुनाव का सुन्नी वक्फ बोर्ड से क्या लेना-देना है?
गौरतलब है कि आज मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान सभी पक्षों के वकीलों ने अपने तर्क रखे। अब इस मामले की अगली सुनवाई आठ फरवरी 2018 को होगी। सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पक्ष रखते हुए कपिल सिब्बल ने दलील दी कि सुनवाई को जुलाई 2019 तक टाल दिया जाए, क्योंकि मामला राजनीतिक हो चुका है। कपिल सिब्बल और राजीव धवन की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि इस मामले की जल्द सुनवाई सुब्रमण्यम स्वामी की अपील के बाद शुरू हुई, जो कि इस मामले में कोई पार्टी भी नहीं हैं।