डाॅ आलोक कुमार/विजय श्रीवास्तव
-1971 से शुरू की थी पत्रकारिता
-कई महत्वपूर्ण अखबारों में थे सम्पादक
-कांग्रेस से शुरू की थी राजनीति पाली
-2014 में भाजपा में शामिल हुए
– पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई कल
नई दिल्ली। आखिरकार विगत 10 दिनों से मीटू की आंधी झेल रहे विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने अपने पद से इस्तीफा दिया। अकबर के ऊपर अब तक 16 महिला पत्रकारों ने मीटू अभियान के तहत आरोप लगाए हैं। अकबर पर पहला आरोप उनके साथ कर प्रेस में काम कर चुकी वरिष्ठ पत्रकार प्रिया रमानी ने लगाया था। जिसके बाद अभी तक लगभग 16 महिला पत्रकार आरोप लगा चुकी हैं। एमजे अकबर ने यह इस्तीफा अपने से दिया है या पार्टी के निर्देश पर दिया है। यह जानकारी नहीं हो सकी है। वैसे यह पहला मामला है जब कि मोदी सरकार के किसी मंत्री ने किसी विवाद में घिरने के बाद अपने पद से इस्तीफा दिया है।
एमजे अकबर ने वैसे 1971 में टाइम्स ऑफ इंडिया से ट्रेनी के तौर पर पत्रकारिता करियर की शुरुआत की थी। वे कई बड़े पत्रकारिता संस्थानों में एडीटर का काम कर चुके हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत कांग्रेस से शुरू किया। 1989 से 1991 के बीच कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेजा था लेकिन 2014 में वह भाजपा में शामिल हो गये। भाजपा जीत के बाद उन्हें विदेश राज्यमंत्री के ओहदे से नवाजा। जिसे उन्हें बाखूबी से निभाया भी। पीएम मोदी के अधिकतर विदेश यात्रा से पूर्व उन्होंने विदेशों में जाकर जमीन तैयार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। वे लगभग हर माह ही विदेश यात्रा पर रहे लेकिन कहते हैं तो जब ग्रह विपरित हो जाते हैं तो पल भर में सब कुछ बिखर जाता है। कुछ ऐसा ही एमजे अकबर के साथ हुआ। पल भर में तो नहीं हाॅ 10 दिन में उन्हें अपने मंत्री पद से इस्तीफा अवश्य देना पडा। वैसे भाजपा अपने मंत्री के मामले में पूरी तरह से शान्त थी।
विगत 10 दिनों से आरोपों से घिरें एमजे अकबर के इस्तीफे के बाद पहली बार आरोप लगाने वाली प्रिया रमानी ने कहा, ‘‘अकबर के इस्तीफे से हम महिलाएं को सुकून महसूस कर रही हैं। मुझे उस दिन का इंतजार है, जब कोर्ट में मुझे न्याय भी मिलेगा।‘‘ गौरतलब है कि प्रिया रमानी के आरोपों के बाद अकबर के खिलाफ एक के बाद लगभग 20 महिलाअेां ने एमजे अकबर पर आरोप लगाये। इसमें देश के साथ कई विदेशी महिला पत्रकारों ने भी आरोप लगाए।
वैसे इस्तीफा देने के बाद भी एमजे अकबर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि वो अपनी लड़ाई कोर्ट में लड़ेंगे। अकबर ने प्रिया के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में मानहानि का मुकदमा किया। इस केस की गुरुवार को सुनवाई होगी। सूत्र बताते हैं कि करीब 20 महिला पत्रकारों ने अकबर के खिलाफ गवाही देने की तैयारी कर ली है। इस बीच, ‘मी टू‘ अभियान के तहत सामने आ रहे मामलों की जांच के लिए सरकार भी रिटायर्ड जजों की कमेटी बनाने की बजाए मंत्रियों का एक समूह गठित करने पर विचार कर रही है। था। एमजे अकबर ने कहा है कि मैं अदालत में न्याय के लिए गया हूं। ऐसे में मेरा पद से इस्तीफा दे देना उचित है। मैं इन झूठे आरोपों के खिलाफ लड़ाई लड़ूंगा। मालूम हो कि अकबर ने 97 वकीलों को हायर किया है, इनमें से कल 6 पैरवी करेंगे।
उधर महिला पत्रकारों ने कहा है कि इस लड़ाई में प्रिया अकेली नहीं हैं। 20 महिला पत्रकारों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा, ‘‘प्रिया रमानी इस लड़ाई में अकेली नहीं हैं। हम मानहानि मुकदमे की सुनवाई कर रही अदालत से अनुरोध करते हैं कि यौन उत्पीड़न से जुड़ी हमारी गवाही भी सुनी जाए।’’ इस संयुक्त बयान पर प्रिया रमानी के अलावा जिन 19 महिला पत्रकारों ने दस्तखत किए हैं, उनके नाम हैं- मीनल बघेल, मनीषा पांडे, तुशिता पटेल, कनिका गहलोत, सुपर्णा शर्मा, रमोला तलवार, होईन्हू हौजे, आयशा खान, कौशलरानी गुलाब, कनिजा गजारी, मालविका बनर्जी, एटी जयंती, हमीदा पारकर, जोनाली बुरगोहैन, सुजाता दत्त सचदेवा, रश्मि चक्रवर्ती, किरण मनाल, संजरी चटर्जी, क्रिश्चियन फ्रांसिस।
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