
विजय श्रीवास्तव
-देश भर में छात्रों के 60 संगठनों के भी भाग लेने की संभावना
-राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ लोगों के शामिल होने का दावा
-पिछले वर्ष सितम्बर में ही भारत बंद का किया था एलान
नई दिल्ली। केन्द्र की मोदी सरकार की लगातार मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ देश की 10 ट्रेड यूनियन ने आज भारत बंद व राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है। मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए ट्रेड यूनियनों ने नागरिकता संशोधन कानून, जेएनयू, जामिया जैसे विश्वविद्यालयों में हिंसा का विरोध करते हुए देशभर में छात्रों के साथ खड़े होने का ऐलान किया है। ट्रेड यूनियनों का सीधा आरोप है कि मजदूरों के हितों में सरकार बेहतर काम नहीं करती है।
गौरतलब है कि इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी सहित अन्य मजदूर संगठनों ने पिछले साल सितंबर में ही सरकारी की नीतियों के खिलाफ 8 जनवरी, 2020 को देशव्यापी हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था। आज देश के 10 से ज्यादा श्रमिक संगठनों ने भारत बंद आह्वान किया है। देश की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ देशवासियों से भारत बंद की अपील की है।
ट्रेड यूनियनांे ने दावा किया है कि आज के राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ लोग हिस्सा लेंगे और केंद्र की मोदी सरकार की ‘जन विरोधी’ नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे। ट्रेड यूनियनों ने दावा किया है कि देश भर में छात्रों के 60 संगठनों और कई विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भी इस हड़ताल को अपना समर्थन देते हुए भारत बंद में शामिल होने का फैसला किया है। छात्र संगठनों और विश्वविद्यालय पदाधिकारियों ने बढ़ी फीस और शिक्षा के व्यावसायीकरण के मुद्दे पर बंद में शामिल होने का फैसला लिया है।
बैंक कर्मचारियों की ज्यादातर यूनियनों ने भी हड़ताल में भाग लेने और उसका समर्थन करने की अपनी इच्छा जाहिर कर दी है। बैंक कर्मचारियों की अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए), अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ (एआईबीओए), भारतीय बैंक कर्मचारी महासंघों और बैंक कर्मचारी सेना महासंघ सहित विभिन्न यूनियनों ने हड़ताल का समर्थन करने का फैसला किया है। बैंकों में राशि जमा करने, निकासी करने, चेक क्लियरिंग और विभिन्न वित्तीय साधनों को जारी करने का काम हड़ताल की वजह से प्रभावित हो सकता है। हालांकि, निजी क्षेत्र के बैंकों में सेवाओं पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है।
भारत बंद से पहले दसों ट्रेड यूनियनों की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘आगामी 8 जनवरी को आम हड़ताल में हम करीब 25 करोड़ लोगों के शामिल होने की उम्मीद कर रहे हैं। इस भारत बंद के बाद हम और कदम उठाएंगे और सरकार से मजदूर विरोधी और जनविरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे।” ट्रेड यूनियन ने कहा है कि श्रमिकों की किसी भी मांग पर श्रम मंत्रालय अब तक कोई भी आश्वासन देने में विफल रहा है।
वहीं दूसरी ओर कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कर्मचारियों को यह चेतावनी देते हुये हड़ताल से दूर रहने को कहा गया है। सरकारी आदेश में कहा गया है कि यदि कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो उसे उसके नतीजे भुगतने होंगे। वेतन काटने के अलावा उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है। केंद्र सरकार के सभी विभागों को भेजे गए आदेश में कहा गया है कि मौजूदा निर्देश किसी भी सरकारी कर्मचारी को हड़ताल में शामिल होने से रोकता है। इसके अलावा वे व्यापक रूप से ‘आकस्मिक‘ अवकाश भी नहीं ले सकते। इसमें कहा गया है कि संघ या यूनियन बनाने का अधिकार हड़ताल या आंदोलन का अधिकार नहीं देता।