कर्नाटक: कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने, शपथ ग्रहण समारोह में सोनिया, राहुल, मायावती, ममता, चन्द्रबाबू, तेजस्वी, अखिलेश, अजीत जैसे बडे विपक्षी नेताओं को जमावडा

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-वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव को साधने की पूरी तैयारी
-कांग्रेस के पी परमेश्वर बने उपमुख्यमंत्री
बेंगलूर। 15 मई के बाद कर्नाटक में चल रहे सियासी ड्रामा का अन्त आज जहां भाजपा के लिए बैचेनी साबित करने वाला रहा वहीं विपक्षी एकता की पटकथा के एक स्वर्णिम दिन के रूप में साबित हुई। कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में जहां जेडीएस के कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली वहीं उपमुख्यमंत्री के रूप में कांग्रेस के जी परमेश्वर ने शपथ लिया। शपथ ग्रहण समारोह में पहली बार विपक्ष के बडे से बडे नेता शिरकत करते दिखे। जिसमें यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती व अखिलेश यादव, बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, अजीत सिंह, शरद पवार प्रमुख रहे।

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गौरतलब है कि एचडी कुमारस्वामी ने आज दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने। राज्यपाल वजुभाई वाला ने कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। जबकि जी. परमेश्वर ने उप-मुख्यमंत्री की शपथ ली। इस दौरान यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक की नवनिर्वाचित विधानसभा को संबोधित किया। आज के शपथ ग्रहण समारोह विपक्ष के लगभग सभी बडे नेता आज शामिल हुए।

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आज की विपक्षी एकता का जिस तरह से आगाज दिखा वह अगर आगे भी मजबूती से रहा तो निश्चय ही भाजपा के लिए 2019 का मिशन आसान नहीं होगा। भाजपा को निश्चय ही आज की विपक्षी एकता की यह शपथ ग्रहण समारोह किसी भी सूरत में रास नहीं आ रही होगी। आज के शपथ ग्रहण समारोह में सोनिया गांधी व मायावती का एक दूसरे से खुल कर मिलना निश्चय ही यूपी में विपक्षी एकता को और मजबूत आधार देगी क्योंकि सपा के अखिलेश यादव पहले से ही मायावती से हाथ मिला चुके हैं। कांग्रेस की यह कोशिश होगी िकवह प्रदेश स्तर पर वहां की मजबूत व छोटी सभी पार्टियों को साथ लेकर 2019 मिशन में आगे बढे। इस समारोह में मायावती आज जिस तरह से अन्य पार्टियों के नताओं से मिली उससे लगता है कि विपक्षी एकता में बडी भूमिका निभाने को तैयार है। वेैसे अभी कुमार स्वामी को सदन में अपना बहुमत साबित करना है। अब यह देखना है कि वह कब सदन में अपना बहुमत साबित करते हैं।

 

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