डाॅ आलोक कुमार/विजय श्रीवास्तव
-93 वर्ष की उम्र में एम्स में हुआ निधन, विगत 36 घंटोे से हालत थी नाजुक
-राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा
– दिल्ली के राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर वाजपेयी का होगा अंतिम संस्कार, तैयारियां शुरू
– शुक्रवार दोपहर 01.30 बजे वाजपेयी की अंतिम यात्रा निकाली जाएगी
– वाजपेयी का पार्थिव शरीर सुबह नौ बजे बीजेपी मुख्यालय ले जाया जाएगा, यहां उनका पार्थिव शरीर आम लोगों के अंतिम संस्कार के लिए रखा जाएगा
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त को सांय 5.05 बजे नई दिल्ली के एम्स में अन्तिम सांस ली। देश में कालजयी राजनीतिज्ञ के रूप में जहां अटल बिहारी का कोई विकल्प नहीं था वहीं उनके ओजस्वी पूर्ण गीत-कविताओं ने उन्हें एक उच्च कोटि के कवि व साहित्यकारों की पंक्ति में खडा किया। उनके निधन से राजनीति में जहां एक ऐसे युग का अन्त हुआ जहां पक्ष व विपक्ष दोंनो में उनका समान आदर था। एक ऐसा शख्सियत जिसने भारत में क्या विश्व में वह नाम व सोहरत हासिल की जिसे आज तक किसी ने नहीं प्राप्त किया। एक ऐसा राजनीतिक व्यक्ति जिसे कभी आलोचना का शिकार नहीं होना पडा। उनके लम्बे सफर व उनके कृत्यों को देखते हुए ही भारत सरकार ने उन्हें 2015 में भारत रत्न से नवाजा। उनके निधन पर केन्द्र सरकार ने 7 दिन का राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। इसके साथ ही पूरे देश में सात दिन राष्ट्रीय ध्वज झुके रहेंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 1924 में हुआ था। वे तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे डिमेंशिया नाम की गंभीर बीमारी से काफी समय से जूझ रहे थे और 2009 से वे व्हीलचेयर पर थे लेकिन इधर पिछले दो महीने से जैसे वह अपने कविता ‘‘ हार नहीं मानूंगा, रार नहीं मानूंगा………पंिक्तयों को गुनगुनाते हुए मौत से जूझ रहे थे लेकिन आज कालजयी राजनीतिज्ञ किसी से हार न मानने वाला आखिर कार काल से हार गया।
उनके निधन पर राष्ट्रपति कोविन्द राम, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी और देश की अलग-अलग पार्टियों के नेता और अनेक गणमान्य हस्तियों ने उनके मौत पर श्रंद्धाजली दी है। वैसे आज सुबह से उनके स्वास्थ के बारें में जानने के लिए पीएम मोदी सहित विभिन्न पार्टियों के नेता उनका हालचाल जानने के लिए एम्स पहुंचे थे। हर शख्स उनके दीर्घायु जीवन का कामना कर रहा था लेकिन शायद ईखर को कुछ और ही मंजूर था।
संक्षिप्त जीवन परिचयः-
ें अटल बिहारी बाजपेई विगत पांच दशक से ज्यादा समय तक भारतीय राजनीति के धुरी के रूप में रहे। उन्होंने विपक्ष में रहते हुए भी सत्ता पक्ष के आदर के पात्र बने रहे। इतना ही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री इन्द्रिरा गांधी ने एक बार उन्हें उस समय पाक से बात चीत के भेजा जब वे विपक्ष के नेता थे। अटल बिहारी बाजपेई देश के पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री थे लेकिन पहली बार वे 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1952 में लड़ा लेकिन वे हार गये। पहली जीत उन्हें 1957 में मिली। उसके बाद उन्होंने फिर पीछे मुड कर नहीं देखा। तब से 2009 तक वे लगातार संसदीय राजनीति में बने रहे।
अटल बिहारी बाजपेई को 1998 में दूसरी बार एक बार फिर पीएम बनने का मौका मिला। उनकी यह सरकार भी सिर्फ 13 महीने चली लेकिन इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के बहुमत वाली सरकार बनी और अटल बिहारी वाजपेयी ने पीएम के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया। 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में वे लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए।