दैनिक जागरण के खिलाफ चुनाव आयोग का सख्त रूख: एफआईआर, जागरण डॉट कॉम के संपादक गिरफ्तार

zaid
-रोक के बावजूद अपने पोर्टल में भाजपा को दिखायी थी बढ़त
-चुनाव आयोग ने 4 फरवरी से 8 मार्च तक लगा रखी है रोक
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनप्रतिनिधित्व अधिनिम 1951 के सेक्शन 126ए के प्रावधानों का उल्लंघन तथा 27-1-2017 को जारी आयोग की अधिसूचना के नजरंदाज करने पर दैनिक जागरण समाचार पत्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया गया है।
गौरतलब है कि आयोग ने 27-1-2017 को अधिसूचना जारी की थी, जिसके अनुसार वर्तमान चुनाव के दौरान विशेषकर 4-2-2017 की सुबह सात बजे से 8-3-2017 की शाम साढे पांच बजे के बीच किसी तरह का एग्जिट पोल कराने, उसे प्रकाशित करने या प्रिंट तथा इलेकट्रोनिक मीडिया के माध्यम से प्रचारित करने या किसी भी तरह परिणामों के प्रसार पर रोक लगाई गई थी। चुनाव आयोग के ध्यान में यह बात आई है कि उत्तर प्रदेश में पहले चरण के चुनाव पर दैनिक जागरण समाचार पत्र ने रिर्सोस डेवलपमेंट इंटरनेशनल(आई) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कराये गए एग्जिट पोल के नतीजों को अपने वेबसाइट पर प्रकाशित किया।जिसमें भारतीय जनता पार्टी को बढ़त दिखायी गयी थी। जिसपर यह आयोग के रिर्सोस डेवलपमेंट इंटरनेशनल(आई) प्राइवेट लिमिटेड तथा दैनिक जागरण द्वारा एग्जिट पोल के परिणामों को प्रचार-प्रसार करना, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 126 ए तथा 126बी तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अन्तर्गत अपराध है। यह आयोग द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा भी है।
आयोग ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में कानून की रक्षा के लिए  जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 126ए का गंभीर उल्लंघन करनेवालों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। इसी के अनुसार पहले चरण के मतदानमें कवर कियेगए प्रत्येक जिले के जिला निर्वाचन अधिकारियों तथा लखनऊ के अधिकारियों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 126ए  तथा 126ए के साथ पढ़े जाने वाले भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 188 के अन्तर्गत निर्देश दिया है कि समाचार पत्र के प्रबंध सम्पादक एडिटर इन चीफ, सम्पादक, मुख्य सम्पादक सहित आरडीआई तथा दैनिक जागरण के प्रबन्ध निदेशकध् अन्य अधिकारियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करायें।
गौरतलब है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 126ए के उप सेक्शन 3 के अन्तर्गत 126ए के तहत किए गए अपराध के लिए दो वर्षकी सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। सेक्शन 126बी में यह प्रावधान है कि यदि अपराध एक कम्पनी द्वारा किया जाता है तो कंपनी के व्यवसाय के प्रभारी और उत्तरदायी प्रत्येक इसके व्यक्ति को अपराध में शामिल माना जाएगा। अपने निर्देशों को दोहराते हुए आयोग ने स्पष्ट किया है कि आयोग उपरोक्त कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन की स्थिति में कठोर कानूनी कार्रवाई करने से नहीं हिचकिचायेगा।

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