विजय श्रीवास्तव
-पुस्तक निःशुल्क वितरण के लिए उपलब्ध
-डाॅ थेरो महाबोधि सोसाइटी आॅफ इण्डिया के सरंक्षक भी हेैं
वाराणसी। भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ स्थित मूलगंध कुटी बुद्ध मंिन्दर में आज भन्ते डाॅ डी रेवत नायक महाथेर, प्रधान संघनायक आॅफ इण्डिया द्धारा लिखित पुस्तक ‘‘राजकुमार सिद्धार्थ से तथागत बुद्ध‘‘ का विमोचन समारोह सम्पन्न हुआ। पुस्तक का विमोचन महाबोधि सोसाइटी आॅफ इण्डिया के अध्यक्ष देसोपसंग दोरजे ने किया। इस दोैरान देश-विदेश से बौद्ध धर्मावलम्बी उपस्थित रहें।
राजकुमार सिद्धार्थ से जीवन के हर विन्दुओं को रेखाकिंत करते हुए उनके तथागत बुद्ध बनने के कालक्रम को एक पुस्तक में संग्रहित कर उसे जनमानस में लाने वाले डाॅ रेवत ने अपने सम्बोधन में कहा कि विगत वर्षो में देश-विदेश का दौरा करने के दौरान उन्हें यह महसूस हुआ कि आज भी तथागत बुद्ध के जीवन के कई अमूल्य दर्शनीय विन्दु हैं जिन्हें हम नहीं जानते हैं। इसका कारण किसी किताब में कुछ तो किसी किताब में कुछ बातों का जिक्र है। कहीं भी समग्र रूप से नहीं मिलता। इस पुस्तक के लिए हमने सिंहली, संस्कृत, अंग्रेजी, पाली की कई पुस्तकों का विधिवत अध्ययन किया और उन्हें एक समग्र रूप देते हुए सरल हिन्दी भाषा में बुद्ध के राजकुमार से तथागत बनने के पूरे घटनाक्रम को साकार रूप देने का प्रयास किया। हमारे इस पुस्तक के प्रकाशन के पीछे अर्थ उद्देश्य नहीं रहा। मैंने इस पुस्तक को निःशुल्क वितरण के लिए ही प्रकाशित किया है। जिससे जो कोई भी तथागत बुद्ध के बारें में जानना चाहता है, वह किसी बाधा के इसे पढ कर समझ सके।
उक्त अवसर पर महाबोधि सोसाइटी आॅफ इण्डिया के अध्यक्ष देसोपसंग दोरजे ने कहा कि डाॅ रेवत की यह पुस्तक निश्चय ही तथागत बुद्ध को और बेहतर ढंग से लोंगो को समझने में सकारात्मक भूमिका निभायेगी। उनका यह प्रयास ऐसे में और सराहनीय हो जाता है, जब लोग आज प्रकाशन को एक व्यवसाय बना कर चलते हैं। ऐसे समय में उन्होंने अथक परिश्रम से इस पुस्तक को निःशुल्क वितरण के लिए प्रकाशित किया है। निश्चय ही उनके इस प्रयास से तथागत बुद्ध के विचार जन-जन तक पहुंचने के साथ-साथ एक सार्थक भूमिका निभायेंगे।
विमोचन समारोह का संचालन करते हुए महाबोधि इन्टर कालेज के प्राचार्य डाॅ बेनी माधव ने कहा कि जब लेखक डाॅ डी रेवत थेरो ने ‘राजकुमार सिद्धार्थ से तथागत बुद्ध‘ पुस्तक के बारें में सोचा होगा तो निश्चय ही तथागत के दर्शन, ज्ञान, कालक्रम में अपने को रखकर देखा, सोचा व जिया होगा। यह बहुत ही कठिन कार्य है। जिसे डाॅ रेवत थेरो ने अपने अथक प्रयास से जमीन पर उतारने का काम किया है।
उक्त अवसर धर्मशिक्षण संस्थान के अध्यक्ष भिक्षु चन्दिमा, धर्मचक्र बौद्ध विहार के प्रबंधक संजय कुमार, मनोज कुशवाहा, महेन्द्र कुमार, राजेन्द्र प्रसाद, अर्चना अवस्थी, सैकडों लोग उपस्थित रहे।