
राजनीतिक डेस्क
-19 साल में पाचवीं बार सारेन परिवार को सत्ता
-37 से 25 सीट पर सिमटी बीजेपी
-2 सीटों पर हेमंत सोरेन ने आजमाया था हाथ
-पीएम नरेन्द्र मोदी व गृह मंत्री अमीत शाह ने की थी 9-9 रैली
-शिबू सोरेन के वारिस हेमंत सोरेन ने विरासत और आंदोलन को धी धार
नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा के चुनाव में भाजपा को जोरदार झटका लगा है। भाजपा को इस तरह से एक और प्रदेश से हाथ धोना पड रहा है। हेमंत सोरेन ने झारखंड विधानसभा चुनाव में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को पटखनी देते हुए दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ कर लिया तो रघुवर दास का लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का सपना करारी शिकस्त के साथ टूट गया । झारखंड चुनाव 2019 में सत्तारुढ़ बीजेपी को महज 25 सीटों पर संतोष करना पड़ा है । ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है। अकेले झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को 30 सीटों पर जीत मिली और राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, हालांकि बीजेपी की तरह जेएमएम भी एकल पार्टी के रूप में बहुमत हासिल करने का सपना पूरा नहीं कर सकी । जेएमएम की सहयोगी कांग्रेस पार्टी के खाते में 16 और राष्ट्रीय जनता दल के खाते में 1 सीट आई । जेएमएम की सहयोगी कांग्रेस पार्टी के खाते में 16 और राष्ट्रीय जनता दल के खाते में 1 सीट आई । गौरतलब है कि जेएमएम में शिबू सोरेन के उत्तराधिकारी और प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर चुके पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर इस बार प्रदेश में महागठबंधन को विजयश्री दिलाने की जिम्मेदारी थी।
शिबू सोरेन के वारिस हेमंत सोरेन ने विरासत और आंदोलन को धार को इस बार तेज धार दिया है। हेमंत सोरेन पीडीएस में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के मुखर आलोचक रहे हैं। इसके अलावा हेमंत सोरेन ने अपने पिता शिबू सोरेन के साथ एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के विरोध में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मुलाकात की थी। यही नहीं, वह बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी शराबबंदी की वकालत लंबे समय से करते आए हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन राज्य के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन हैं। हेमंत सोरेन सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने वाले नेताओं में शुमार हैं। हेमंत सोरेन अपने पिता की तरह राज्य में आदिवासी समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं। उन्हें राजनीति विरासत में मिली है।
हेमंत सोरेन ने 2013 में झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। सरकार बनाने में उन्हें कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल का साथ मिला था। विपक्ष में रहते हुए हेमंत सोरेन राज्य के आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं। 2016 में राज्य में भाजपा की सरकार सत्तारूढ़ थी। तत्कालीन सरकार ने छोटा नागपुर टीनेंसी एक्ट और संथाल परगना टीनेंसी एक्ट को बदलने की कोशिश की थी। इसमें आदिवासी भूमि को गैर कृषि कार्यों में इस्तेमाल करने का प्रावधान था। इसका राज्य में काफी विरोध हुआ और हेमंत सोरेन ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।