मद्रास हाईकोर्ट का आदेश: स्कूल, दफ्तर, विश्वविद्यालय में हफ्ते में एक बार जरूर हो वंदेमातरम

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-सरकारी दफ्तर, प्राइवेट कंपनियों मेें भी होगा महिनें में एक बार वंदेमातरम
-छात्रों ने ही की थी कोर्ट से अपील
नई दिल्ली। मद्रास हाई कोर्ट ने राज्य के सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय में सप्ताह में कम से कम एक बार वंदेमातरम गाना अनिवार्य कर दिया है। हाई कोर्ट ने यह आदेश एक याचिका की सुनवाई में दिया है। कोर्ट ने  इसके साथ-साथ सभी सरकारी दफ्तरों, प्राइवेट कंपनियों में भी महीने में एक बार राष्ट्रगीत जरूर बजना चाहिए।
 हाई कोर्ट के इस फैसले के पीछे भी एक छात्र की पहल है। जिसके चलते आज आज कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। बताया जाता है कि वीरामणी नामक एक छात्र ने प्रदेश सरकार की नौकरी के लिए परीक्षा दी थी जिसमें वो एक नंबर से फेल हो गया। पेपर अच्छा होने के बाद भी फेल होने पर उसने परीक्षा बोर्ड से अपने कापी की जांच करायी तो पता चला कि फेल होने का कारण वंदे मातरम गीत किस भाषा में लिखा गया है उसका सवाल था। जिसका जवाब उसने गलत दिया था। वीरामणी ने अपने उत्तर में लिखा था कि वंदे मातरम गीत बंगाली भाषा में लिखी गई थी, जबकि बोर्ड की तरफ से उसका सही उत्तर संस्कृत बताया गया। इसी को लेकर वीरामणी ने मद्रास हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर वंदे मातरम की भाषा पर स्थिति साफ करने का आग्रह किया। 13 जून को राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट में बताया कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम मूल तौर पर संस्कृत भाषा में था लेकिन उसे बंगाली भाषा में लिखा गया था। इसी के बाद मद्रास हाईकोर्ट ने वंदे मातरम को सभी स्कूल, कॉलेज और शैक्षनिक संस्थानों में जहां सप्ताह मंे एक दिन वहीं कार्यालयों व कम्पनियों में महिने में एक दिन गाने के लिए अनिवार्य करने का फैसला सुना दिया।
 कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि सभी स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी में सप्ताह में एक बार वंदे मातरम जरूर बजना चाहिए। सभी सरकारी दफ्तरों, प्राइवेट कंपनियों में भी महीने में एक बार राष्ट्रगीत जरूर बजना चाहिए। राज्य के सूचना विभाग को वंदे मातरम को सभी भाषा में अपलोड करना चाहिए, उन्हें ये सोशल मीडिया पर भी डालना चाहिए। लेकिन अगर किसी व्यक्ति को वंदे मातरम गाने में कोई तकलीफ हो रही है, तो उसे जबरन गाने को मजबूर नहीं किया जा सकता है।

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