
सोनी शर्मा
मैं तुम्हारी कमजोरी नहीं,
ताकत बनना चाहती हूँ,
तुम्हारी जिन्दगी में जगह नहीं,
दिल कि चाहत बनना चाहती हूँ ,
मैं तुम्हारे दर्द कि साथी भले ही नहीं,
तुम्हारी जख्मों कि राहत बनना चाहती हूँ,
मैं तुम्हारे महफिल कि रौनक नहीं,
तुम्हारी तन्हाईयों कि जरुरत बनना चा हती हूँ,
तुम मिलो या ना मिलो कोई ग़म नहीं,
मैं तुम्हारी होठों की मुस्कान बनना चाहती हूँ
तुम रुठते रहो … मैं मनाती रहूं .. इसका भी कोई गम नहीं,
मैं तो बस तुम्हारे जीवन की संगीत बनना चाहती हूँ…!!!!