MP : बिना कन्यादान रश्म के रचाई महिला (IAS) ने अपनी शादी, कहा ‘‘मैं दान की वस्तु नहीं’’

विजय श्रीवास्तव
-कन्या व वर पक्ष ने भी दी अपनी सहमति
-हिंदू संस्कृति में कन्यादान का सबसे अहम

नरसिंहपुर। ’मैं दान की चीज नहीं, आपकी बेटी हूं,’ यह लाइन हर मॉ-बाप को झकझोर देने वाली लाइन है। सच हमने इसपर कभी सोचा ही नहीं कि कोई लडकी जिसे हम बेहद प्यार दुलार से पालते हैं उसे दान भी किया जा सकता है। आज एक महिला आइएएस तपस्या परिहार की शादी इसलिए बेहद चर्चा में है क्योंकि शादी में कन्यादान की रस्म नहीं कराई। खास बात यह रही कि उसके इस कार्य में उसके पिता व वर पक्ष ने भी अपनी सहर्ष सहमति भी दी और सकुशल शादी सम्पन्न हुई।
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के जोबा गांव में एक महिला आईएएस (IAS) अफसर और आईएफएस (IFS) अधिकारी की शादी चर्चा में है। ये शादी तब चर्चा में आ गई जब पता चला की हिंदू संस्कृति से की गई इस शादी में सबसे जरूरी रस्म ही पूरी नहीं की गई। आईएएस तपस्या परिहार ने 23वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने आईएफएस अधिकारी गर्वित गंगवार से शादी की। तपस्या ने अपने पिता से कहा है कि मैं दान की चीज नहीं हूं, आपकी बेटी हूं। उन्होंने शादी में कन्यादान की रस्म नहीं कराई। गुरुवार को जोवा गांव में इस शादी का रिसेप्शन हुआ है। इसमें दोनों पक्षों के रिश्तेदार और परिचित शामिल हुए।


बगैर कन्यादान किए शादी की सभी रश्म हुई पूरी


हिन्दू शादी-विवाह में कन्यादान का विशेष महत्व होता है और इसे सबसे बडा दान माना गया है। पर नरसिंहपुर जिले के करेली के पास एक छोटे से गांव जोबा में पैदा हुई तपस्या परिहार ने सारे बंधनों को तोड़ते हुए अपनी शादी में कन्यादान की रस्म को नहीं होने दिया, जिसकी वजह से यह शादी चर्चा में है। दरअसल हिंदू मान्यताओं के अनुसार पिता अपनी पुत्री को कन्या के रूप में वर पक्ष को दान करता है। इस रस्म के तहत किए जाने वाले दान को अहम माना जाता है। लेकिन तपस्या का मानना है की बचपन से ही मेरे मन में समाज की इस विचारधारा को लेकर अलग सोच थी कि कैसे कोई मेरा कन्यादान कर सकता है, वह भी मेरी बगैर इच्छा के और यही बात धीरे-धीरे मैंने अपने परिवार से भी कही। समय लगा लेकिन परिवार भी मान गया और वर पक्ष भी इस बात के लिए राजी हो गए कि बगैर कन्यादान किए भी शादी की जा सकती है।


बदलाव की आवश्यकता है समाज को


तपस्या का कहना है कि दो परिवार आपस में मिलकर विवाह करते हैं तो फिर बड़ा छोटा या ऊंचा नीचा होना ठीक नहीं. क्यों किसी का दान किया जाए और जब मैं शादी के लिए तैयार हुई तो मैंने भी परिवार के लोगों से चर्चा कर कन्यादान की रस्म को शादी से दूर रखा। वहीं तपस्या के पति आईएफ़एस गर्वित भी बताते हैं कि क्यों किसी लड़की को शादी के बाद पूरी तरह बदलना होता है। चाहे मांग भरने की बात हो या कोई ऐसी परंपरा जो ये सिद्ध करें कि लड़की शादीशुदा है। ऐसी रस्में लड़के के लिए कभी लागू नहीं होती और इस तरह की मान्यताओं को हमें धीरे-धीरे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। तपस्या के पिता भी शादी से खुश है। उनका मानना है कि इस तरह की रस्मों से लड़की को पिता के घर से या उसकी जायजाद से बेदखल करने की साजिश की तरह देखा जाता है।

Share
Share