
-विजय श्रीवास्तव
-उत्तर प्रदेश के 21 वें मुख्यमंत्री के रूप में आज लेंगे शपथ
– 5 बार लगातार रहने वाले सांसद योगी का बचपन का नाम अजय सिंह है
-हिन्दू हितों के रक्षक हैं, पर कट्टर ठाकुरवादी के रूप में भी है पहचान
वाराणसी। हिन्दुत्व व समाजसेवा के लिए पूर्ण समर्पित व्यक्तित्व। हिन्दु हितों के रक्षक व हिमायती, फायर बिग्रेड के रूप में अपनी अलग पहचान। हिन्दुओं के लिए सड़क से लेकर संसद तक पार्टी के गाइडलाइन से भी हट कर अपने वेबाक टिप्पणियों के लिए जाने-जाने वाले शख्सियत का नाम “योगी आदित्यनाथ“ है।
विगत एक हप्ते से उत्तर प्रदेश के राजनीति में जिस तरफ से मुख्यमंत्री को लेकर घमासान छिड़ा था, उसका अन्तिम पड़ाव “योगी आदित्यनाथ“ पर जाकर समाप्त हुआ। मुख्यमंत्री के दोैड़ में शामिल लगभग आधा दर्जन महारथियों को पिछाड़ते हुए योगी आदित्यनाथ आज यूपी के मुख्यमंत्री हैं। वैसे जिस तरह से अन्य महारथियों ने सीएम की कुर्सी के लिए शतंरज की गोटी बिछायी वैसा कुछ योगी आदित्यनाथ ने नहीं किया। शनिवार को दोपहर तक रेलराज्य मंत्री मनोज सिन्हा का नाम रेश में सबसे आगे था। स्वंय मनोज सिन्हा को भी अपने सीएम बनने का इतना विश्वास था कि वे अपने कर्मभूमि काशी में आकर शनिवार को सुबह काल भैरव, काशी विश्वनाथ मन्दिर, संकटमोचन में विधिवत पूजा पाठ कर भगवान से आशीर्वाद तक ले लिया लेकिन शायद इससे पूर्व पीएम नरेन्द्र मोदी व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह प्रदेश की नयी पटकथा लिख चुके थे जिसमें कहीं भी मनोज सिन्हा नहीं दिख रहे थे। उन्हें अचानक वाराणसी से दिल्ली बुला कर हाईकमान ने अपने फैसले से अवगत करा दिया। वैसे योगी का सीएम बनना जितना विपक्षियों के लिए भारी पड़ेगा उतना ही प्रदेश के पार्टी कार्यकर्ताओं सहित विधायकों के लिए भी है। अपने कड़े स्वभाव व सख्त मिजाज के लिए जाने-जाने वाले योगी किसी भी रूप में अनुशासनहीनता पसंद नहीं करते हैं। गोरखपुर से वर्ष 1998 में मात्र 26 वर्ष की आयु में सांसद बने योगी आदित्यनाथ लगातार पांचवी बार सांसद है। उनकी पहचान पूरे पूर्वांचल में है। जहां तक अगर उनके राजनीति जीवन के साथ उनके पूर्व जीवन का खंगाला जाये तो इसमें कोई सन्देह नहीं कि उनका पूरा जीवन समाज व हिन्दुत्व के लिए समर्पित रहा है। उनके भक्त समर्थकों को उनके प्रति गहरी आस्था व श्रद्धा है। योगी आदित्यनाथ का पूर्व का नाम ठाकुर अजय सिंह है। क्षत्रिय परिवार में जन्में अजय सिहं का जन्म उतराखण्ड के गढवाल में 05 जून 1972 को एक राजपूत परिवार में हुआ था.इनका वास्तविक नाम अजय सिंह है। उन्होंने गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित से बी.एस.सी किया है। बीएससी करने के पश्चात् वे गोरखपुर आकर गुरु गोरखनाथ जी पर शोध कर ही रहे थे, की गोरक्षनाथ पीठ के महंथ अवैद्यनाथ की दृष्टि इनके ऊपर पड़ी.महंत जी के प्रभाव में आकर अजय सिंह का झुकाव अध्यात्म की और हो गया, जिसके बाद उन्होंने सन्यास गृहण कर लिया.महंत जी की दिव्यदृष्टि अजय सिंह के भीतर छुपी प्रतिभा को पहचान गयी और उन्होंने अजय सिंह को नया नाम दिया योगी अदियानाथ रख दिया तब से लोग उन्हें योगी आदित्यनाथ रख दिया।
आदि काल से क्षत्रिय समाज में ऐसे महापुरुष हुए हैं जिन्होंने शस्त्र के साथ साथ शास्त्रों में भी निपुणता हासिल कर विश्व को धर्म का ज्ञान दिया है, जिनमे महर्षि विश्वामित्र, भगवान बुद्ध ,महावीर स्वामी, ऋषभदेव, पार्श्वनाथ आदि प्रमुख रहे हैं।
इसी कड़ी को आगे बढाया है पूर्वांचल के शेर कहे जाने वाले गोरखनाथ पीठ के उत्तराधिकारी और बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं।
जहां तक गोरखनाथ पीठ के इतिहास की बात की जाए तो गोरखपुर गोरक्षनाथ की धरती कही जाती है यह भूमि नेमिनाथ, महंथ दिग्विजय नाथ जैसे तमाम तपस्वी और राष्ट्र भक्तो की तपस्थली रही है, जब देश में सूफियो द्वारा धर्मान्तरण का कुचक्र चलाया जा रहा था उस समय गुरु गोरखनाथ ने पुरे भारत में अलख जगाकर धर्मान्तरण को रोका, इतना ही नहीं महंथ दिग्विजयनाथ जी ने देश की आजादी के संघर्ष में केवल सेनापति के सामान काम ही नहीं किया बल्कि हिन्दू समाज को बचाने में महत्व पूर्ण भूमिका निभाई वे हिन्दू महासभा के अध्यक्ष भी चुने गये। महंत दिग्विज्यनाथ भी सन्यासी बनने से पहले चितौडगढ़ के राजपूत परिवार में जन्मे थे।
जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर के पावन परिसर में 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया। अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने आपको लगातार पांच बार रिकॉर्ड मतों से लोकसभा में भेजा।
जिस प्रकार स्वामी दयानंद के अन्दर देश भक्ति की ज्वाला थी और देश बचाने, हिन्दुओ को बचाने के लिए आर्य समाज की स्थापना की उसी प्रकार योगी जी ने गोरक्ष मंदिर और अपने राजनैतिक कैरियर का उपयोग हिन्दुसमाज को बचाने, धर्मांतरण को रोकने और देश भक्ति की ज्वाला को जलाये रखने में किया। उन्हंोंने पूर्वांचल में इसाई मिशनरियों को कभी भी पैर जमाने का मौका नही दिया। यही नहीं नेपाल के रास्ते देश में पनप रहे जेहादी आतंकवाद का भी डट कर मुकाबला किया। कई बार उन पर जानलेवा हमला हुआ, पर इससे हिंदुत्व और जनकल्याण की उनकी भावना पर तनिक भी फर्क नही पड़ा.’ योगी जी ने 2005 में 5000 से ज्यादा हिन्दू से ईसाई बनाये गए लोगों को वापस हिन्दू बनाया।
कई बार उन पर कुछ विरोधी ठाकुरवाद का भी आरोप लगाते हैं, क्योंकि हिंदुत्व के साथ साथ उन्होंने राजपूत समाज के साथ होने वाले अन्याय का भी पार्टी लाइन से उपर उठकर जम कर विरोध किया। योगी आदित्यनाथ अकेले ठाकुर नेता थे जो दलगत राजनीती से उपर उठकर प्रतापगढ़ में हुए जिया उल हक हत्याकांड में झूठे फसाये गये रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के समर्थन में भी खुल कर आगे आए। अभी कुछ माह पूर्व योगी जी ने लोकसभा सत्र के दौरान देश में समान नागरिक संहिता और सख्त गौहत्या निषेध कानून बनाए जाने की पुरजोर हिमायत की, उनकी मुहिम का ही परिणाम था कि केंद्र सरकार इस दिशा में पहल करने के लिए तैयार हो गयी है। लोकसभा मे साम्प्रदायिक हिंसा पर हो रही बहस में गोरखपुर से भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ जी ने जिस तरह से अपना पक्ष रखा है, उसने सेकुलरिज्म के नाम पर देशद्रोह की राजनीति करने वालों की धज्जियां उडा कर रख दी।