-विश्व हिन्दूू परिषद ने कहा कि वह अन्तिम लडाई लड रही है
-दिसम्बर तक सरकार लाए संसद में अध्यादेश
-एक बार फिर चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी
नई दिल्ली। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने एक बार फिर राम जन्म मन्दिर के लिए मोर्चा खोल दिया हेै। उसने सीधे सरकार से कहा है कि वह संसद में एक अध्यादेश लाए और मंदिर का रास्ता साफ करें। शुक्रवार को दिल्ली में हुए बैठक में विहिप ने एक तरह से समय सीमा तय करते हुए सरकार को अध्यादेश लाने के लिए इस वर्ष के अतं तक का समय दिया है। इस तरह से एक बार फिर रामजन्म मंदिर का मुद्दा गरमाने के आसार दिखने लगे हैं।
गौरतलब है कि शुक्रवार को राम जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास की अध्यक्षता में विहिप की उच्च स्तरीय समिति की यहां हुई एक दिवसीय बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें संसद में एक अध्यादेश लाने की मांग की गई, जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या में विवादित स्थल पर एक भव्य राम मंदिर के निर्माण का रास्ता निकालेगा। इस अवसर पर मंहत ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए वह ‘अंतिम लड़ाई’ लड़ रही है और इस वर्ष के अंत तक संसद में एक अध्यादेश लाने के लिए केन्द्र सरकार के लिए एक ‘समय सीमा’ तय की गई है। बैठक के बाद संतों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और उन्हें प्रस्ताव की एक प्रति सौंपी और उनसे अनुरोध किया कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करें।
इस दौरान विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने प्रेस कान्फ्रंेस में कहा कि सरकार के लिए इस वर्ष के अंत तक संसद में अध्यादेश लाये जाने की ‘‘समयसीमा’’ तय कर दी गई है। इस दौरान अयोध्या में राम मंदिर के लिए वीएचपी ने केंद्र को आंदोलन की चेतावनी देते हुए इस मुद्दे को गंभीरता से लेने को अनुरोध किया। श्री आलोक ने पीएम मोदी सरकार को ‘राम भक्तों’ में से एक के रूप में वर्णित करते हुए उम्मीद जतायी कि देश में करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को स्वीकार किया जायेगा और ‘‘2018 के सूर्यास्त से पहले’’ कानून लाया जायेगा। कुमार ने कहा,‘‘यदि ऐसा नहीं होता है तो इसके बाद हमारे पास सभी विकल्प हैं। इलाहाबाद में महाकुंभ के इतर अगले वर्ष होने वाली दो दिवसीय ‘धर्म संसद’ के दौरान भविष्य की रणनीति पर निर्णय लिया जायेगा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिये बगैर कुमार ने कहा कि ‘‘जनेऊधारी’’ नेताओं को भी उनकी मांग का समर्थन करना चाहिए।
बहरहाल रामजन्म मन्दिर को लेकर 29 अक्टूबर से कोर्ट में भी बहस प्रारम्भ होनी है। जबकि दूसरी ओर विहिप भी इस मुद्दे को गरमाने में लगी है। वैसे विहिप ने सरकार को अध्यादेश लाने का दिसम्बर तक का समय दे दिया है लेकिन यह भी तय है कि सरकार के लिए इस मुद्दे पर अध्यादेश लाना आसान नहीं होगा। अब अगर कोर्ट द्धारा अगर इस बीच कुछ निर्णय आ जाता है तो ठीक है। नही ंतो यह मुद्दा 2019 के चुनाव में एक बार फिर देखने को मिलेगा।