ADR ने किया UP का रिपोर्ट कार्ड किया जारी, दागी 15 तो करोड़पति 11 प्रतिशत बढें

विजय श्रीवास्तव
-158 विजेता उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं
-भाजपा में इस बार 111 तो सपा में 74 उम्मीदवार चुन कर गये
-भाजपा के 366 तो सपा के 100 विधायक करोड़पति हैं
-दो विधायकों की उम्र 80 वर्ष से अधिक है

लखनऊ। पांच राज्यों में चुनाव सम्पन्न हो गये हैं और उनके रिजल्ट भी जनता जनार्दन के सामने आ चुके हेंं। आपको जानकर यह हैरत होगा कि इन पांच चुनावी राज्यों में से सबसे ज्यादा दागी प्रत्याशी उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़े। राजनीतिक हस्तियों का लेखा-जोखा रखने वाली एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सभी राज्यों के प्रत्याशियों पर तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार आपराधिक छवि वाले नेताओं के चुनाव लड़ने का आंकड़ा भी काफी बढ़ा है। एडीआर के रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में जहां इस बार 15ः ज्यादा दागी विधायक बने वहीं करोड़पति की भी संख्या में 11 प्रतिशत बढ़ी। वैसे किसी भी पार्टी ने दागी उम्मीदवारों को टिकट देने व विधानसभा में पहुचाने से गुरेज नहीं किया है। एक चौकाने वाली बात यह भी रही कि इस बार दो विधायकों की उम्र 80 वर्ष से अधिक है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 2017 में जहां में 18 फीसदी दागी उम्मीदवार चुनाव लड़े थे, वहीं इस बार ये आंकड़ा बढ़कर 26 प्रतिशत हो गया है। प्रत्याशियों की ओर से नामांकन के दौरान आयोग को दिए हलफनामे पर एडीआर ने डिटेल रिपोर्ट तैयार की है। इसके मुताबिक, पांच राज्यों में चुनाव लड़ रहे कुल 6,874 प्रत्याशियों में 1,694 ऐसे हैं, जिनपर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें भी 1,262 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिन पर गंभीर आरोप लगे हैं।
बहरहाल हम केवल उत्तर प्रदेश विधानसभा में जीत कर आये 403 विधायको का रिपोर्ट कार्ड देखने का प्रयास करेंगे। जिसे राजनीतिक पार्टियों का लेखा-जोखा रखने वाली एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने तैयार किया है।
तो आइए देखते है विस्तार से कि एडीआर की रिपोर्ट क्या कहती है।
एडीआर ने यूपी चुनाव 2022 के नए विधायकों का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। आइए पहले देखते है कि इस बार विधानसभा में रिपोर्ट के अनुसार कितने विधायक दागी है और किस पार्टी में कितने हैं।

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ADR रिपोर्ट के अनुसार


यूपी चुनाव 2022 में 158 (39 प्रतिशत) विजेता उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में 402 में से 107 (26 प्रतिशत) विधायकों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये थे।
यानि इस बार गंभीर अपराधिक मामले वाले विजेता उम्मीदवारों की संख्या में सीधे 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यानि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में बाहुबल और धनबल से किसी दल ने परहेज नहीं किया। पार्टियों ने ऐसे लोगों को खुले दिल से टिकट बांटे तो इन्हें जिताकर विधानसभा पहुंचाने में जनता ने भी संकोच नहीं किया। उत्तर प्रदेश इलेक्शन वाच एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) ने 403 विजेता उम्मीदवारों के शपथपत्रों के विश्लेषण में पाया है कि 2017 के मुकाबले 15 प्रतिशत अधिक दागी और 11 प्रतिशत अधिक करोड़पति 18वीं विधानसभा में पहुंचे हैं। ‘‘अब अगर प्रमुख पार्टियों की बात करें तो सबसे अधिक दागी सपा के टिकट पर चुने गए हैं तो वहीं सबसे अधिक करोड़पतियों को सदन पहुंचाने में भाजपा आगे रही।’’

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, विजेता उम्मीदवारों में 403 में से 205 (51 प्रतिशत) ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। यानि इस बार आधे से अधिक विजेता उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। जबकि 2017 में 402 में से 143 (36 प्रतिशत) विधायक ऐसे थे जिन्होनें अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए थे। जबकि इस बार 158 (39 प्रतिशत) ने तो अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि 2017 में 402 में से 107 (26 प्रतिशत) ही ऐसे विजेता उम्मीदवार थे।
पांच विजेता उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने अपने ऊपर हत्या से संबंधित मामले घोषित किए हैं। 29 ने हत्या के प्रयास, छह ने महिलाओं के ऊपर अत्याचार से संबंधित मामले घोषित किए हैं तो एक विधायक ऐसे भी चुने गए हैं, जिनके खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज हैं।

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आइए अब देखते हैं कि पार्टीवार विजेता उम्मीदवारों की रिपोर्ट कार्ड क्या है


दागी विजेता उम्मीदवारों के स्तर पर पार्टीवार समीक्षा की जाए
भाजपा के 255 में से 111 (44 प्रतिशत), समाजवादी पार्टी के 111 में से 71 (64 प्रतिशत), राष्ट्रीय लोकदल के 8 में से 7 (88 प्रतिशत), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 6 में से 4 (67 प्रतिशत), निर्बल इंडियन शोषित हमारा अपना दल (निषाद) के 6 में से 4 (67 प्रतिशत), अपना दल (सोनेलाल) के 12 में से 3 (25 प्रतिशत), जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के 2 (100 प्रतिशत), कांग्रेस के दो (100 प्रतिशत) और बसपा के एक (100 प्रतिशत) विजेता उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।


गंभीर आपराधिक मामलों की अगर बात की जाए तो


भाजपा के 35 प्रतिशत, सपा के 43 प्रतिशत, रालोद के 63 प्रतिशत, सुभासपा के 67 प्रतिशत, निषाद के 67 प्रतिशत, अपना दल (एस) के 17 प्रतिशत, जबकि कांग्रेस, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक और बसपा के सौ-सौ प्रतिशत प्रत्याशी हैं। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के कुल दो और बसपा के एक ही विधायक हैं, इसलिए इनका आंकड़ा सौ प्रतिशत है।


अब आइए देखते है कि इस बार के विधानसभा में कितने विधायक करोड़पति चुने गये हैं।


तो इस बार की एडीआर की यह रिपोर्ट कार्ड काफी चौकाने वालें हैं कि भले आज देश की 80 करोड जनता गरीब है जिसे आज अनाज दिया जा रहा हैं लेकिन हमारें विजेता विधायकों में से 91 प्रतिशत विधायक करोड़पति हैं।
यानि कुल 403 में से 366 यानी 91 प्रतिशत विधायक करोड़पति हैं। 2017 में यह आंकड़ा 80 प्रतिशत था। भाजपा के 255 में से 233 (91 प्रतिशत), सपा के 111 में से 100 (90 प्रतिशत), अपना दल (एस) के 12 में से नौ (75 प्रतिशत), रालोद के आठ में से सात (88 प्रतिशत), सुभासपा के छह (100 प्रतिशत), निषाद पार्टी के छह (100 प्रतिशत), जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो (100 प्रतिशत), कांग्रेस के दो (100 प्रतिशत) और बसपा के एक (100 प्रतिशत) विधायक करोड़पति हैं। इन सभी की घोषित संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक की है। 45 प्रतिशत विधायकों की संपत्ति पांच करोड़ से अधिक 30 प्रतिशत की दो से पांच करोड़ के बीच है। 20 प्रतिशत की संपत्ति 50 लाख से दो करोड़ रूप्ये है।

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अब आइए देखते है कि इस बार के विधानसभा में सबसे अमीर विधायक कौन है और किस पार्टी का है।


तो इस विधानसभा में अमित अग्रवाल सबसे अमीर विधायक है। जो मेरठ जनपद के भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति 148 करोड़ बताई है। जबकि विजेता विधायकों में सबसे ज्यादा संपत्ति घोषित करने वाले शीर्ष दूसरे नम्बर पर मुरादाबाद जिले के मुरादाबाद रूरल सीट से समाजवादी पार्टी के मोहम्द नासिर हैं, जिनकी संपत्ति 60 करोड़ हैं। तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी के अंबेडकरनगर के जलालपुर विधानसभा सीट से राकेश पांडेय हैं, जिन्होंने अपनी संपत्ति 59 करोड़ बताई है। अगर विजेता उम्मीदवारों की औसत संपत्ति की बात की जाए तो यह 8.06 करोड़ है, जो 2017 में 5.92 करोड़ थी। जोकि यह साबित करती है कि आम आदमी भले गरीब हो रही है लेकिन हमारें नेता दिन पर दिन अमीर होते जा रहे हेंं।


अब आइए देखते है कि चुने गये विधायकों का शिक्षा का स्तर क्या है


22 प्रतिशत की शैक्षिक योग्यता 8वीं और 12वीं के बीच।
76 प्रतिशत की योग्यता स्नातक और इससे अधिक घोषित की हैं।
अब आइए देखते है कि चुने गये विधायकों का उम्र औसत क्या है
42 प्रतिशत की आयु 25 से 50 वर्ष के बीच घोषित है।
58 प्रतिशत विधायक 51 से 80 वर्ष के बीच हैं।

दो विधायकों की उम्र 80 वर्ष से अधिक है।
403 में से 47 यानी 12 प्रतिशत महिला विधायक हैं। 2017 में इनकी संख्या 42 यानि दस प्रतिशत थी।

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