Allahabad High Court : ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला तीन अगस्त को
ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे पर लगी रोक तीन अगस्त तक बढ़ गई है। इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। तीन अगस्त को कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। इससे पहले काशी विश्वनाथ मंदिर स्थित ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे की सुनवाई बृहस्पतिवार को निर्धारित वक्त से पहले शुरू हो गई थी। जिसमें मुस्लिम पक्ष के वकील ने बहस की शुरुआत की। इसमें एएसआई के अतिरिक्त निदेशक आलोक त्रिपाठी भी कोर्ट में हाजिर हुए। मुस्लिम पक्ष के वकील ने एएसआई के हलफनामे का जवाब दाखिल किया।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने दोहराया रामजन्म भूमि मामले में ASI को सर्वे की अनुमति मिली थी
हिंदू पक्ष के वकील ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान रामजन्म भूमि मामले में एएसआई को सर्वे करने की अनुमति मिली थी। जिस पर मुस्लिम पक्षकार ने दावा किया कि राम मंदिर मामले में साक्ष्य प्रक्रिया के बाद ही अनुमति दी गई थी। ज्ञानवापी मामले में ये सब असामयिक हो रहा है।
ASI की स्थापना 1871 में हुई थी, उन्होंने कोर्ट को बताया कि जीपीआर सर्वे ही करेंगे
इलाहाबाद हाईकोर्ट में एएसआई सर्वे के बारे में बहस करते हुए, उन्होंने बताया कि एएसआई की स्थापना 1871 में हुई थी। वे कहते हैं कि वे सर्वे ही करेंगे, इमारत को खरोंच तक नहीं आने देंगे। सर्वे में इमारत की कोई चोट नहीं आएगी।
यूपी के महाधिवक्ता ने जिम्मेदारी को उठाया, सुरक्षा बल की जरूरत होगी अगर सर्वे होता है
यूपी के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा ने इस मामले में जिम्मेदारी को उठाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। यदि तत्काल सर्वे शुरू होता है तो हमें अतिरिक्त सुरक्षा बल की जरूरत होगी।
मुस्लिम पक्षकार ने कहा कि पोषणीयता का विधिक बिंदु तय होना जरूरी है। पोषणीयता के विधिक बिंदु तय किए बिना सर्वेक्षण गलत है। बताया गया है कि पोषणीयता का वाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। हिंदू पक्ष ने कहा कि मामले का जल्द निस्तारण होना चाहिए।
हाईकोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी थी, सुनवाई में हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की तरफ से बहस हुई थी
बुधवार को दिन भर चली सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सुनवाई को स्थगित कर दिया था। इस दौरान हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के वकीलों ने अपने तर्क प्रस्तुत किए थे। हाईकोर्ट के समक्ष एएसआई के वैज्ञानिक भी मौजूद थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर मुस्लिम पक्षकारों की याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं।
हिंदू पक्षकार ने अपने दावे को समर्थन में तस्वीर पेश किया, लेकिन कोर्ट ने इनकार कर दिया
हिंदू पक्ष की मुख्य वादिनी राखी सिंह के वकील सौरभ तिवारी ने बहस की शुरुआत की। कोर्ट ने उन्हें हिंदी में ही बहस करने को कहा। कोर्ट ने पूछा, “आप चाहते क्या हैं?” इस पर उन्होंने कहा कि सर्वे हो। सौरभ तिवारी ने अपने दावे को समर्थन में तस्वीर पेश किया। लेकिन कोर्ट ने तस्वीर देखने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि साक्ष्यों को सही समय और सही फ़ोरम पर दिखाएं।
मुस्लिम पक्षकार का दावा – ज्ञानवापी मामले में पहले से लंबित मामलों को निस्तारण किया जाए
मुस्लिम पक्षकार ने दावा किया कि धारा 3 के मुताबिक पूजा स्थल के नेचर में बदलाव नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि न ही कोई अपील और वाद होगा। उन्होंने पहले से लंबित सभी मामले को अगस्त 1947 से निस्तारण करने की याचिका की।
यह लेख ग्यानवापी सर्वे के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की सुनवाई पर आधारित है और यह तीन अगस्त को कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद है। इसमें हिंदी में अनुकूल भाषा और सक्रिय प्रयोग किया गया है ताकि पाठकों को अधिक समझने में सहायता मिल सके।