
बेंक्रिग न्यूज
-आसाराम को आईपीसी की धारा 376 , 377, 342, 354, 357 और 506 के तहत दोषी पाया
गांधीनगर। संत आसाराम बापू को आज गांधी नगर कोर्ट से जोरदार झटका लगा। दुष्कर्म मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे संत आसाराम बापू को गांधीनगर की एक अदालत ने महिला शिष्या से दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिया है। है। ये मामला 2013 में दर्ज किया गया था। गांधीनगर की सेशन कोर्ट ने आसाराम के खिलाफ सोमवार को सुनवाई पूरी कर ली थी और आईपीसी की धारा 376 , 377, 342, 354, 357 और 506 के तहत दोषी पाया। कोर्ट ने महिला से दुष्कर्म के मामले में छह अन्य आरोपियों, जिनमें आसाराम की पत्नी लक्ष्मीबेन, उनकी बेटी और चार अन्य शिष्यों को बरी कर दिया है।
वैसे कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान सबूतों के अभाव में आसाराम की पत्नी समेत छह अन्य आरोपियों को आज बरी कर दिया है। विशेष लोक अभियोजक आरसी कोडेकर ने मामले में आज हुई सुनवाई की जानकारी देते हुए कहा कि अदालत ने अभियोजन पक्ष के मामले को स्वीकार कर लिया है और आसाराम को धारा 376 2(सी) (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध) और भारतीय दंड संहिता के अन्य प्रावधानों के तहत अवैध हिरासत के लिए सोमवार को दोषी ठहराया है।
यह मामला आखिर क्या था-
जानकारी के मुताबिक सूरत की एक महिला ने अक्टूबर 2013 में आसाराम बापू और सात अन्य लोगों के खिलाफ बलात्कार और अवैध रूप से बंधक बनाने का मामला दर्ज कराया था। वैसे आरोपियों में से एक की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मृत्यु भी हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में जुलाई 2014 में चार्जशीट दायर की थी।
अहमदाबाद के चांदखेड़ा पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, आसाराम बापू ने 2001 से 2006 के बीच पीड़िता महिला से कथित तौर पर कई बार दुष्कर्म किया था। जब उसके साथ यह हो रहा था तब वह शहर के बाहरी इलाके में स्थित अपने आश्रम में रह रही थी।
बराबर विवादों से घिरे रहे आशाराम बाप–
आशाराम बापू वैसे बराबर विवादों से घिरें रहें। 2009 में राजू चंदक ने आरोप लगाया कि आसाराम के आश्रम में महिलाओं का यौन शोषण किया जाता है। उसके बाद महिला शिष्या ने उनके उपर बलात्कार, बंधक तक का आरोप लगाया। इसके साथ कभी भक्तों को मारने तो कभी जल विवाद तो कभी जमीन हडपने के आरोप लगते रहे हैं।