‘बतकही हमारी-निर्णय आपका’ शिवपुर विधानसभा

समस्याएं जस की तस, सपा में आधा दर्जन प्रत्याशी लाइन में, भाजपा, कांग्रेस, बसपा ने साध रखी है चुप्पी


डॉ आलोक कुमार/विजय श्रीवास्तव
-जातिगत समीकरण के लिए जाना जाता है शिवपुर विधानसभा सीट

वाराणसी। उत्तर प्रदेश में आगामी होने वाले विधानसभा चुनाव इस बार भी काफी दिलचस्प होने वाले हैं। अभी जहां तक प्रत्याशियों की बात की जाए तो किसी भी पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन हर पार्टी अभी से अपने-अपने जीत का दावा जरूर करने लगी है। वैसे इस बार सपा में इस सीट के लिए जबरदस्त घमासान देखने को मिलने वाला है। हमने अपने 24Timestoday.com न्यूज पोर्टल व 24Timestoday यूटयूब के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के आठों विधानसभा सीटों की जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की है। इसमें हम जहां जनता के नब्ज को टटोलने की कोशिश करेंगे। वहीं विधानसभा के मैदानी जंग में उतरने वालें प्रत्याशियों के बारें भी ‘बतकही हमारी-निर्णय आपका’ के माध्यम से आपके सामने रखने का प्रयास करेंगे।


हम अपने पहले अंक में वाराणसी के शिवपुर विधानसभा पर ‘बतकही हमारी-निर्णय आपका’ के तहत बात करेंगे। वैसे विगत विधानसभा चुनाव 2017 में मोदी लहर का असर केवल शिवपुर सीट पर ही नहीं बल्कि वाराणसी के आठों सीटों पर देखने को मिला और भाजपा ने सभी 8 सीटों पर विजय दर्ज की। जहां तक शिवपुर विधानसभा सीट की अगर बात की जाए तो इस सीट पर काफी रोचक मुकाबला रहा। रनर सपा रही जिसने लगभग 55000 से अधिक वोट बटोरने में कामयाबी पायी। जो कि पूर्वांचल के लिए एक उदाहरण बनी। सभी सीट पर भाजपा के फतह होने के बाद भी शिवपुर विधानसभा सीट चर्चा का विषय बनी रही।


शिवपुर सीट से भाजपा के विजयी अनील राजभर को यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा उपहार स्वरूप मिला जो शिवपुर विधानसभा की जनता के लिए एक उपलब्धि रही। जिन मुख्य समस्याओं को लेकर शिवपुर विधानसभा सीट पर चुनाव हुए उसमें क्षेत्र की बदहाल सडकें, बिजली, पेयजल संकट, स्वास्थ्य, गरीबी आदि मुद्दे प्रमुख रहें लेकिन इन पांच वर्षो में सरकार के दावें व विपक्ष की आलोचना से अलग हट कर अगर निगाह डाले तो कुछ एक अपवाद, एकाध विकास कार्य हुए। जिनमें आशापुर फ्लाईओवर विशेष रहा लेकिन इसके निर्माण के साथ लोहिया नगर, आशापुर, तिलमापुर के हजारों लोंगो के आवागमन व रोजी रोटी की समस्या भी विकराल रूप में उभर कर सामने आयी। बिना सर्विस रोड के अचानक आशापुर रेलवे क्रासिंग को बन्द करने से आसपास की जनता पूरी तरह से आक्रोशित रही।


इस संघर्ष में विडम्बना है कि ऐसे वक्त में इस क्षेत्र के सत्ता पार्टी के विधायक व कैबिनेट मंत्री अनील राजभर व चंदौली के सांसद व केन्द्रीय केबिनेट मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय के पूरी तरह से चुप्पी साधना इस बार चुनाव में भारी पड सकता है। आशापुर पुल में हुए भ्रष्टाचार व उसके लम्बाई में कमी होने से जनता और आक्रोशित है। लगातार तीन वर्षो तक पुल के चलते आसपास के लोंगो का जीवन नरकीय बना रहा और आज भी बना हुआ है। ऐसे में कभी भी इन द्वय नेताओं ने क्षेत्रीय लोंगो के दुखती रग पर हाथ नहीं रखा।


अब चुनाव का मौसम है। आरोपों का बाजार गर्म है। जाति, धनबल व जोडतोड की राजनीति अब चरम की ओर अग्रसर है। चुनाव होंगे जोड़तोड़ व कुशल प्रबन्धन के सहारें जीत भी हासिल करेंगे लेकिन पीएम के संसदीय क्षेत्र का एक हिस्सा शिवपुर विधानसभा क्षेत्र में भी है। बावजूद इस कथित वीवीआईपी क्षेत्र की अधिकतर समस्यायें जस की तस है। गंगा में बाढ़ के समय ढाब का क्षेत्र आज भी द्वीप जैसा सरीखा बन जाता है। यह बाढ़ के समाप्त होने इस क्षेत्र के लोंगो का जीवन आज भी नरकीय बना रहता है। सारनाथ विश्व प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थल यहां भी स्वास्थ्य सुविधाओं का व्यापक अभाव है। एक PHC भी विगत कई वर्षो से निर्माणाधीन है। जिससे यह समस्या और भी विकट हो चली है। आज क्षेत्र में अच्छे डाक्टर के लिए पाच-छः किलोमीटर की दूरी करनी पड़ती है। इसके अलावा जनसंख्या बढ़ने के बावजूद सफाई की हालत बदहाल है। नगर निगम का स्वास्थ्य महकमा अपनी एक अपर्याप्त चौकी से सारनाथ जैसे बौद्ध तीर्थ स्थल की देखभाल कर रहा है।


इन समस्याओं व दुश्वारियों से हटकर आगामी चुनाव की चर्चा करें तो शिवपुर विधानसभा में जीत के दावें और प्रतिदावें का अखाड़ा बन गया है। सत्ता पार्टी दल भाजपा से वर्तमान विधायक को पुनः टिकट मिलेगा यह चर्चा का विषय बना हुआ हे। जबकि वहीं पिछले चुनाव में रनर रही समाजवादी पार्टी में जातिगत, धनबल, बाहरी व स्थानीय और कुछ मौसमी नेताओं के कुछ अपने-अपने दावें है। इनके फोटों कटआउट धार्मिक् आयोजन के पोस्टर, कथा सत्संग का आयोजन आदि अनेक लोकलुभावन नारों से लैस लगभग आधा दर्जन से अधिक प्रत्याशी अपनी मजबूत दावेंदारी सपा के मुखिया अखिलेश यादव के समक्ष कर चुके हैं। कुछ हाल ही में धुर्रधंर अपने जीत को निश्चय मानते हुए पार्टी छोड़ कर साइकिल पर सवार होकर अपनी जीत पक्का मानते हुए टिकट की आस लगायें हैं।


शिवपुर विधानसभा सीट पर इस समय पिछली बार के रनर रहे सपा के आनन्द मोहन‘गुडडु यादव’, संजय यादव, संजय मिश्रा, प्रदीप बेनाम, अवधेश पाठक, उदय लाल मोर्य के नाम चर्चा में हैं। कुछ समीकरणों के बदलने पर अपनी जुगत बैठाने में लगे हुए है। वैसे अभी कांग्रेस, भाजपा, बसपा के खेमें कोई विशेष सरगर्मी नहीं देखने को मिल रही है लेकिन इस सीट पर समाजवादी पार्टी के लिए इन प्रत्याशियों में से एक को चयन करना बहुत ही टेढ़ी खीर साबित होने वाली है। बहरहाल अभी शिवपुर की जनता भी शान्त है वह भी चुनाव के पहले का नूरा कुश्ती देख रही हैं फिर किसे जिताना है और किसे पटखनी देनी है वह तो जनता को बहुत ही बखूबी से आता है।

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