
अर्थ डेस्क
नई दिल्ली। केन्द्र की सरकार लगातार Bank Privatisation पर जोर दे रही हैं वहीं दूसरी ओर निजीकरण के खिलाफ सरकारी कर्मचारी लगातार लामबंद होकर हड़ताल कर रहे हैं। तमाम विपक्षियों के निशाने पर आने के बाद भी मोदी सरकार Bank Privatisation के मुद्दे पर बिल्कुल ही पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। बल्कि उसने अब तो अपना पक्ष पूरी तरह से साफ कर दिया है। इसी कडी में अब सरकार IDBI Bank के निजीकरण की प्रक्रिया इसी महीने शुरू करने जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट की बात की जाए तो केंद्र सरकार आईडीबीआई बैंक के निजीकरण के लिए प्रारंभिक निविदाएं शीघ्र आमंत्रित कर सकती है। जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) मिलकर आईडीबीआई बैंक में 60.72 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में हैं। शुक्रवार को इसकी जानकारी दी भी गयी है। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) 7 अक्टूबर को संभावित बोलीदाताओं से रुचि की अभिव्यक्ति (EOI) आमंत्रित करेगा।
आईडीबीआई बैंक में किसकी और कितनी हिस्सेदारी हैं-
आइए देखते है कि आईडीबीआई बैंक में किसकी और कितनी हिस्सेदारी है। प्क्ठप् ठंदा में अगर सरकार की हिस्सेदारी की बात की जाए तो 45.48 फीसदी है, जबकि वहीं एलआईसी की हिस्सेदारी 49.24 फीसदी है। जानकारी के अनुसार रकार और एलआईसी आईडीबीआई बैंक में कुछ हिस्सेदारी बेचेगी और फिर खरीदार को मैनेजमेंट कंट्रोल भी सौंप दिया जाएगा।
आरबीआई 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी खरीदने को मंजूरी दे सकता है। जानकारी के अनुसार, केंद्र 30.48 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगा और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) आईडीबीआई बैंक में 30.24 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगा। दीपम के सचिव (DIPAM) ने ट्वीट कर जानकारी दी, ’आईडीबीआई बैंक में भारत सरकार और एलआईसी हिस्सेदारी के स्ट्रैटेजिक विनिवेश के साथ मैनेजमेंट कंट्रोल भी ट्रांसफर किया जाएगा। इसके लिए बोलियां मंगवाई जाएंगी.’

ईओआई जमा करने की अंतिम तारीख 16 दिसंबर
गौरतलब है कि आईडीबीआई बैंक के लिए ईओआई जमा करने की अंतिम तारीख 16 दिसंबर रखी गयी है और सभी ईओआई 180 दिनों के लिए वैध होंगे। दीपम ने कहा, ’सफल बोली लगाने वाले को आईडीबीआई बैंक के सार्वजनिक शेयरधारकों के लिए खुली पेशकश करनी होगी।’