Breaking News : ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग अब नहीं होगी, कोर्ट ने खारिज किया मांग, हिन्दु पक्ष को जोरदार झटका

Gyanvapi of Varanasi
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News Desk
वाराणसी। वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की अब कार्बन डेटिंग नहीं होगी। आज वाराणसी में जिला जज अजय कृष्ण विष्णु विश्वेश ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट के इस आदेश से जहां हिन्दु पक्ष को झटका लगा है।
वाराणसी की कोर्ट हिन्दु महिलाओं की मांग को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह कहा था कि जहां शिवलिंग पाया गया है उसे हर संभव सुरक्षित रखा जाए। कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसे में अगर कार्बन डेटिंग के दौरान कथित शिवलिंग को किसी भी तरह से क्षति पहुंचती है तो वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सीधा उल्लंघन होगा वहीं दूसरी ओर अगर ऐसा होता है तो इससे आमजन मानस की धार्मिक भावना भी आहत हो सकती है।
वाराणसी कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को किनारें करते हुए श्रृंगार गौरी ज्ञानवापी केस में सुनवाई योग्य माना था। इसी के बाद से सुनवाई चल रही थी। इसी बीच जैसा कि आप जानते हैं कि 4 महिलाओं ने वाराणसी की कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। जिसके तहत उन्होंने कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की मांग की थी। वाराणसी कोर्ट में आज महिलाओं के कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की मांग को आज खारिज कर दिया जबकि वहीं श्रृंगार गौरी में पूजा की अनुमति को लेकर दायर केस पर कोर्ट ने सुनवाई जारी रखने की बात की है।
आइए हम आपको पूरा घटनाक्रम को संक्षेप में बताते है। अगस्त 2011 में 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रह की सुरक्षा को लेकर एक याचिका कोर्ट में डाली थी। इस दौरान वाराणसी में सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने एक कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति कर ज्ञानवापी का सर्वे करने का आदेश दे दिया था । उस दौरान जहां हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान जो कथित शिवलिंग मिला है वह कथित शिवलिंग हैं वहीं जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि यह कोई शिवलिंग नहीं है यह बहुत पहले का एक फव्वारा है। इसी दौरान हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग उठाई थी। जिसपर सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दे भी दिया था। जबकि वहीं दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष इससे नाराज होकर सुप्रीम कोर्ट चला गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को जिला जज को ट्रांसफर कर पोषणीयता पर नियमित सुनवाई करने का निर्णय सुनाने का आदेश दिया था।

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