गरुड़ पुराण: एक परिचय, आत्मा को सद्गति का मार्ग
Garuda Purana : गरुड़ पुराण एक वैष्णव संप्रदाय से संबंधित ग्रंथ है। यह ग्रंथ भगवान विष्णु द्वारा मृत्यु और मृत्यु के बाद की घटनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक बताता है। गरुड़ पुराण का पाठ अक्सर उन घरों में किया जाता है जहां किसी परिजन की मृत्यु हो जाती है। इस ग्रंथ में स्वर्ग-नरक, पाप-पुण्य, पुनर्जन्म, धर्म और नीति से जुड़ी बातें बताई गई हैं। इसके पाठ से व्यक्ति को शांति मिलती है और उसके जीवन में सहजता आती है।
गरुड़ पुराण का महत्व
गरुड़ पुराण का महत्वपूर्ण एक अंश है मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताना। इसमें मृत्यु के बाद आत्मा को अपने कर्मों के अनुसार फल मिलता है जैसे स्वर्ग-नरक, गति-सद्गति, अधोगति या दुर्गति। इस पुराण के पाठ से परिवारवालों को भी यह ज्ञात होता है कि उन्हें अच्छे कर्म करने से सद्गति मिलती है। गरुड़ पुराण के पाठ से जीवन में समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
गरुड़ पुराण: मृत्यु के बाद का रहस्य
मृत्यु के बाद का रहस्य गरुड़ पुराण में विस्तार से बताया गया है। यहां बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा 13 दिनों तक परिवारवालों के बीच ही रहती है। इस समय में उसके कर्मों के अनुसार उसे सद्गति या दुर्गति की प्राप्ति होती है। गरुड़ पुराण के पाठ से परिवारवालों को यह भी ज्ञात होता है कि उन्हें अच्छे कर्म करने से सद्गति मिलती है और पाप करने से दुर्गति। इसलिए मृतक के घर पर गरुड़ पुराण का पाठ होता है ताकि वे उचित और धार्मिक रीति से मृतक की आत्मा को शांति दे सकें।
Note : यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और ज्ञान पर आधारित है। हम यहां किसी भी प्रकार की मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते। इसलिए इस जानकारी को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।