आर्थिक स्थिति के बाद फीस वृद्धि का प्रस्ताव निरस्त
कोविड के बाद पैदा असाधारण परिस्थितियों से कमजोर हुई आर्थिक स्थिति को देखते हुए शासन ने शुल्क वृद्धि के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया है। प्रदेश के निजी Engineering, फार्मेसी व व्यावसायिक संस्थानों में सत्र 2023-24 में प्रवेश लेने वाले हजारों विद्यार्थियों को बड़ी राहत मिली है। लगातार पांचवें साल इंजीनियरिंग, फार्मेसी व व्यावसायिक डिग्री-डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में फीस नहीं बढ़ेगी। शासन ने प्रवेश व फीस नियमन समिति के शुल्क बढ़ाने के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया है।
शुल्क वृद्धि का प्रस्ताव पर आपत्तियां
समिति हर साल इन संस्थानों में प्रवेश के लिए फीस निर्धारित करती है। 2018-19 में मानक शुल्क में वृद्धि की गई थी। इसके बाद कोविड को देखते हुए फीस वृद्धि नहीं की गई, लेकिन स्थितियां सामान्य होने के बाद निजी व्यावसायिक शैक्षणिक संस्थानों ने शुल्क वृद्धि की मांग की। इस क्रम में समिति ने विभिन्न डिग्री व डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में अलग-अलग लगभग 11 फीसदी तक शुल्क वृद्धि की सैद्धांतिक सहमति दी थी। इसके बाद इस पर आपत्तियां मांगी गईं। आपत्तियों के निस्तारण के बाद पिछले दिनों शासन स्तर पर बैठक हुई। इसमें समिति के शुल्क वृद्धि के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया।
अभिभावकों की आर्थिक स्थिति का हवाला
शासनादेश के मुताबिक जनमानस की परेशानी, छात्रहित, अभिभावकों की ओर से मानक शुल्क में बढ़ोतरी न करने के अनुरोध, कोविड के बाद पैदा असाधारण परिस्थितियों से कमजोर हुई आर्थिक स्थिति को देखते हुए शुल्क वृद्धि का प्रस्ताव निरस्त कर दिया गया है। 2022-23 के लिए निर्धारित मानक शुल्क ही 2023-24 में यथावत रखा जाएगा।
पाठ्यक्रम जिनमें होगा प्रवेश
- बीटेक
- बीफार्मा
- बीआर्क
- बीएफए
- बीएफएडी
- बीएचएमसीटी
- एमबीए
- एमसीए
- एमफार्मा
- एमआर्क
- एमटेक
- वोकेशनल पाठ्यक्रम
- एमबीए इंटीग्रेटेड
- डिप्लोमा इन इंजीनियरिंग
- डीफार्मा
- डीआर्क
- डीएचएमसीटी आदि।
इस फैसले से यूपी के विद्यार्थियों को आर्थिक संकट से निपटने में मदद मिलेगी और उन्हें बिना चिंता के अपने शैक्षणिक सपनों को पूरा करने का मौका मिलेगा। इससे उनकी शिक्षा में निरंतरता का सुनिश्चय होगा और वे अपने करियर को सफलतापूर्वक अग्रसर कर पाएंगे।