
विजय श्रीवास्तव
-आजीविका पर संकट से जनजीवन हुआ बेहाल
-वाराणसी में गंगा के तटवर्ती इलाकों में गलियों में पानी
वाराणसी। वाराणसी में थोडी बहुत राहत के बाद अभी भी गंगा ने रौद्र रूप धारण कर रखा है। गंगा में पिछले चार दिन से जारी उफान सोमवार का ठहराव जरूर आया लेकिन अभी भी लोंगो की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। बाढ़ का पानी घरों व दुकानों में घुसने के कारण बड़ी संख्या लोग बेघर व अपने आजीवका से हाथ धो बैठे हैं। हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक लगभग एक हजार से अधिक मकान डूब चुके हैं। लोग अपने रिश्तेदारों व राहत केंन्द्रो पर आश्रय लेने के लिए बाध्य हैं।

वैसे सोमवार से जलस्तर घटने से घटाव जरूर हो गया मगर गंगा, वरुणा और गोमती के तटवर्ती क्षेत्रों में दुश्वारियों का स्तर बढ़ता जा रहा है। इधर, पहले से ही सभी घाटों का संपर्क टूटा है। महाश्मशान मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह स्थल बदलना पड़ा है। शव जलाने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
वाराणसी शहर के बीचों बीच बहने वाली वरुणा नदी में लगातार बढ़ रहे जलस्तर के कारण उसके किनारे बसे लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। कई इलाकों में तो नदी का जलस्तर इतना बढ़ गया है कि स्थानीय लोग अपने घरों को छोड़ बाढ़ राहत शिविर में गुजारा कर रहे हैं। वैसे उफनाई गंगा के दबाव में असि नदी भी बैक फ्लो कर चुकी है। शहर के दक्षिण कई कॉलोनियों, मोहल्लों तक नालों के जरिए बाढ़ का पानी पहुंच गया है। वहीं, वरुणा के तटवर्ती आधा दर्जन से अधिक मोहल्लों से विस्थापन तेज हो चला है। पहले से सूखे की मार झेल रहे बनारस में गंगा नदी पूरे वेग से बह रही है। तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का पानी भरने से सैकड़ों बीघे की फसल जलमग्न हो गई है।