Sarnath : भगवान बुद्ध के विचारों व उपदेशों को जहां एक ओर विश्व में प्रचार प्रसार के लिए सरकार प्रयास कर रही हैं वहीं दूसरी ओर कुछ लोग के चलते आज बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ में ही पूजा-अर्चन, दीप प्रज्जवलन तक के लिए रोकने का प्रयास किया जा रहा है। यह कहीं से न्योयोचित्त नहीं है। इसपर सरकार को ध्यान देना चाहिए। उक्त बातें अनागारिक धर्मपाल की 159वीं जयन्ती पर मूलगंध कुटी विहार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के पद से सम्बोधित करते हुए श्री लंका जम्बूद्वीप मन्दिर के प्रभारी डॉ भिक्षु के सिरि सुमेध थेरो ने कही।
भिक्षु थेरो ने कहा कि अनागारिक धर्मपाल ज्ञान गंगा की ज्योति लेकर श्रीलंका से भारत आए लेकिन बोधगया सहित सारनाथ की स्थिति जो उस समय थी वह बहुत ही दयनीय थी। उस समय भी उन्हें न पूजा का अधिकार था कई स्थलों पर कब्जा तक हो गया था लेकिन उन्होंने संकल्पित होकर भगवान बुद्ध के उपदेशों को आत्मसात करते हुए जहां लोंगो को संगठित करने का प्रयास किया वहीं इन दोंनो स्थलों पर बुद्ध मंदिर के साथ शिक्षा के लिए वि़द्यालय तक खोलने का काम किया लेकिन आज के हालात जो सारनाथ के हो गये हैं। उससे बौद्ध समाज आहत है। कुछ लोंगो के चलते आज भगवान बुद्ध से जुडे स्थलों पर जाने से रोकने के साथ उन्हें पूजा, माला फूल, खाता चढाने यहां तक दीप प्रज्जवलित किए जाने भी रोका जाता है। जो बहुत ही दुःखद है।
भिक्षु थेरो ने कहा कि धर्मपाल बौद्ध धर्म के पुर्नस्थापना में अपना पूरा जीवन लगाया। धर्मपाल ने श्रीलंका में अंग्रेजी दासता के विरुद्ध अलख जगाई एंव भारत मे भी नई सांस्कृतिक चेतना का सूत्रपात किया।
इस अवसर पर अमेरिका से आए बौद्ध अनुयायी रोब हेनके ने कहा कि धर्मपाल जी ने धर्म के विकास के साथ सामाजिक कुरीतियों व शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी अग्रणी भूमिका निभाई है। आज विश्व में स्थिरता व शान्ति कोई ला सकता है तो वह भगवान बुद्ध के विचार व उपदेश ही ला सकते हैं।
मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर के विहाराधिपति भिक्षु आर सुमित्ता नन्द थेरो ने कहा कि धर्मपाल जी शिक्षा व बौद्ध धर्म के विकास में महत्वपूर्ण काम किया है। उनके विचारों को आत्मसात करने की जरूरत है। बुद्धिष्ट चैनल कोलंबो के चेयरमैन बी बजीरंगयाना थेरो ने विचार व्यक्त किया।
इस मौके पर धर्मपाल के जीवन पर आधारित भाषण, निबंध व चित्रकला प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। संचालन महाबोधि इन्टर कालेज के प्राचार्य प्रवीण श्रीवास्तव व धन्यवाद ज्ञापन संदीप सिंह ने किया।
इसके पूर्व बौद्ध भिक्षुओं द्वारा अष्टांगिक बुद्ध पूजा की गई। शाम को बोधि वृक्ष के नीचे दिप जला कर विश्व शांति के लिए पूजा की गई शांति व्यवस्था बनाये रखने में एनसीसी कैडेटों ने अहम भूमिका अदा की। मौके पर भिक्षु रत्नालोक, भिक्षु धर्मलोक, भिक्षु धर्मप्रिय, भिक्षु जिनानंद, भिक्षु धम्मवीर, अंकुर श्रीवास्तव, धीरज कुमार अन्य लोग उपस्थित रहें।
Sarnath : एक ओर बुद्ध के उपदेशों का प्रचार-प्रसार दूसरी ओर पूजा, दीप प्रज्जवलन पर रोक दुःखद – भिक्षु सुमेध थेरो
