शिक्षक एक मार्गदर्शक, गुरु, मित्र के साथ ही छात्र के जीवन का वास्तविक शिल्पकार होता है : प्रो नागेंद्र पांडेय

महाबोधि इंटर कालेज का 89वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम सम्पन्न
महाबोधि इंटर कालेज का 89वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम सम्पन्न

विजय श्रीवास्तव
-महाबोधि इंटर कालेज का 89वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम सम्पन्न
वाराणसी। शिक्षक छात्रों के जीवन के वास्तविक शिल्पकार होते हैं। जो न सिर्फ छात्रों के जीवन को आकार देते हैं बल्कि हमें इस काबिल बनाते हैं कि वे
पूरी दुनिया में अंधकार के बाद भी प्रकाश की तरह जलते रहें। सनातन संस्कृति में विद्या व अविद्या का प्रावधान है। अविद्या लौकिक शिक्षा व विद्या आध्यात्मिक शिक्षा है। भौतिक व आध्यात्मिक शिक्षा से आधुनिक शिक्षा पद्धति का निर्माण होता है। इनके सामंजस्य से ही छात्र जीवन में हर समस्या को पार करते हुए प्रगति के पथ पर सदैव अग्रसर होता रहता है। इस प्रकार गुरु किसी भी छात्र का अभिभावक, मार्गदर्शक व पथप्रदर्शक होता है। उक्त बातें श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने कहीं।


भगवान बुद्ध की तपोस्थली सारनाथ में महाबोधि इंटर कालेज के 89वें वार्षिकोत्सव व सांस्कृतिक कार्यक्रम के अवसर पर कालेज परिसर में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो पाण्डेय ने कहा कि यह सच है कि माता-पिता हमारे पहले शिक्षक हैं। वह हमें काफी कुछ सिखाते हैं। इस बात इनकार नहीं किया जा सकता। पर हमारी असली शिक्षा तब शुरू होती है जब हम स्कूल जाते हैं। जहां हम अपने शिक्षकों द्वारा ज्ञान प्राप्त करना शुरू करते हैं। शिक्षक एक व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिक्षक एक मार्गदर्शक, गुरु, मित्र होने के साथ ही और कई भूमिकाएं निभाते हैं, जिनके बारे में हम सोच भी नहीं सकते। यह विद्यार्थी के ऊपर निर्भर करता है कि वह अपने शिक्षक को कैसे परिभाषित करता है। गुरू छात्र को जीवन में आने वाली तमाम अच्छाई व बुराइयों का बोध कराते हुए ज्ञान का बोध कराता है और अप्प दीपों भवः की स्थिति में पहुंचा देता है जहां वह स्वंय दीप की तरह चारों ओर अपने ज्ञान को प्रकाशित करें। इसीलिए गुरू को श्रेष्ठ कहा गया है।

उक्त अवसर पर सनातन इन्टर कालेज के प्राचार्य हरेन्द्र राय ने कहा कि आज अगर अभिभावकों को अपने बच्चों का भविष्य बनाना है तो उन्हें भी आगे आना होगा। उन्हें स्कूल के प्राचार्य, अध्यापक से सामंजस्य स्थापित करना होगा। बच्चों पर पैनी नजर रखना जहां अध्यापक का काम है वहींं आज अभिभावक का भी काम है। आज अध्यापक व अभिभावक में बराबर संवाद की जरूरत है। बीएचयू के प्रो. विमलेंद्र कुमार ने कहा कि शिक्षा के द्वारा ही किसी भी व्यक्ति का शारीरिक व मानसिक विकास होता है। शिक्षा से ही ज्ञान व विनय का बोध होता है। शिक्षा के द्वारा हर व्यक्ति सभी बाधाओं को पार कर जाता है।

महाबोधि शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. राममोहन पाठक ने कहा कि भगवान बुद्ध का जीवन ही संदेश है। उनके बताए आष्टांगिक मार्ग को आत्मसात करने से हर प्रकार की समस्या व दुःख से छुटकारा मिल सकता है। संयुक्त शिक्षा निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार, माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड के पूर्व सदस्य डॉ. हरेंद्र राय, प्रभाष कुमार झा ने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन व स्वागत महाबोधि इंटर कालेज के प्रधानाचार्य प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ने किया। इस दौरान महाबोधि इंटर कालेज के छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की मनोहर प्रस्तुति की।

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