
पंडित प्रसाद दीक्षित, ज्योतिषाचार्य एवं पूर्व ट्रस्टी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी
-त्रिदेव में भगवान शिव को मुक्ति देने वाला कहा गया है
वाराणसी। शिवजी के पंचाक्षर मंत्र से कोरोना का अंत संभव है। यह दावा सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य एवं श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व ट्रस्टी पंडित प्रसाद दीक्षित ने किया है। श्री दिक्षित के अनुसार कोरोना वैश्विक महामारी है और इससे आज भारतवर्ष बुरी तरह प्रभावित है। त्रिदेव में भगवान शिव को मुक्ति देने वाला कहा गया है, यही मनुष्य का संघार करते हैं। शिवपुराण के मतानुसार यदि भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र का जप किया जाए किसी भी विपत्ति से बचा जा सकता है । यह मंत्र बोलने में सरल एवं अत्यंत गुणकारी है।
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ऐसी मान्यता है कि सवा करोड़ भगवान शिव के निमित्त पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जप किया जाए तो निसंदेह किसी भी महामारी से छुटकारा पाया जा सकता है। भगवान शिव को आदि देव माना जाता है। शिवजी हिन्दू धर्म में त्रिदेवों में से एक माने जाते हैं। धर्मशास्त्र के मतानुसार भगवान शिव संहार करनेवाले माने जाते हैं। जो इस संसार में आता है उसे जाना भी होता है और भगवान शिव इसी कार्य के कर्ता माने जाते हैं। भगवान शिवजी के विषय में सभी महत्वपूर्ण जानकारियां शिवपुराण में दी गई हैं। हिन्दू धर्म में शिवजी को माननेवाले भक्तों के संप्रदाय को शैव कहते हैं। सोमवार भगवान् शिवजी का अतिप्रिय दिन माना जाता है स सोम का अर्थ है चंद्रमा जो शिवजी के मस्तक पर विराजमान हैं। शिवजी से बड़ा इस जगत में कोई नही है। शिवजी शक्ति से परे नही है, बल्कि इनका ही नारी रूप है शक्ति, अर्धनारेश्वर रूप जिसमें शिवजी आधे पुरुष और आधे स्त्री है।
शिवजी की कृपा से ही सांसारिक और मानसिक पीड़ा समाप्त हो जाती है। मनुष्य अपने जीवनकाल में परब्रह्म को प्राप्त कर सकता है स सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत का संकल्प लेकर शिवालय में जाकर सबसे पहले शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करे।
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‘ओउम् महाशिवाय सोमाय नमः‘ इस महामंत्र का जप करें, उसके बाद गाय के शुद्ध कच्चे दूध से शिवलिंग पर अभिषेक करे। यह करने से मनुष्य के तन -मन- धन से जुड़ी हुई परेशानियों समाप्त हो जाती है । शिवलिंग पर शहद या गन्ने का रस चढ़ाये, जिससे नौकरी या व्यवसाय से जुड़ी सभी समस्या सुलझ जाती है। पुष्प, धतूरे और भस्म से शिवजी का अभिषेक करे । शिवजी की आरती करे और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए हृदय से प्रार्थना करें।
रूपं देहि जयं देहि भाग्यं देहि महेश्वरः।
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान्कामांश्च देहि मे।।
जब सभी प्रकार के संकटों से आप घिरे हो और प्रत्येक तरह के यतन करने के बाद भी समाधान नही मिल रहा हो, तब एक अंतिम मार्ग आप शिवजी की भक्ति और शिवजी की आराधना भी करके देख ले। जैसा की आप सभी जानते है भोले नाथ सबसे जल्दी अपने भक्तो का संकट दूर करते है तथा जल्द ही प्रसन्न होते है।
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारं।
सदा वसन्तं ह्रदयाविन्दे भंव भवानी सहितं नमामि।।
आरती के समय यह मंत्र अवश्य पढ़े । भोले बाबा से पुराने कर्मो के लिए क्षमा मांगकर दुखों से मुक्ति व रक्षा की कामना करें । शिवजी ही सबसे सरल स्वभाव और मोहमाया से दूर रहनेवाले देव है । वे कलश भर पानी और आसानी से मिल जानेवाले बिल्वपत्र- धतूरे से प्रसन्न हो जाते है । शिवजी की पूजा से मनुष्य को सभी प्रकार के सुख का आनन्द प्राप्त होता है । यह सांसारिक और पारलौकिक आनन्द देनेवाले देवता है ।अकालमृत्यु को इनकी कृपा से दूर किया जा सकता है स धार्मिक मान्यता है कि शिवजी को खासतौर पर तीन पत्ती वाले बिल्वपत्र अर्पित करना सर्वोत्तम माना जाता है । पीले चन्दन से ॐ बनाकर शिवलिंग पर चढ़ाने से पाप का नाश होता है, साथ ही साथ मनुष्य को भौतिक और मानसिक शांति और सफलता प्राप्त होती है तथा घर में सदैव लक्ष्मीजी का निवास होता है । बिल्वपत्र पर ॐ लिखकर एक एक बिल्बपत्र शिवजी पर अर्पण करना और मंत्र का उच्चारण करना सर्वोत्तम माना गया है । उसके बाद शिवजी की आराधना करे और अंत में सफल जीवन और अपने परिवार के लिए सुख शांति के लिए आराधना करे ।
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं त्रयायुधम्।
त्रिजन्म पापसंहारंमेकबिल्वं शिवार्पणम।।
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भगवान् शिवजी के शिवलिंग पूजा में दूध के साथ भांग और धतुरा अर्पित करने की परम्परा है। धर्मग्रंथो के अनुसार भगवान शिवजी का निवास स्थान कैलाश पर्वत है जो बर्फ से आच्छादित रहता है । यहा अति ठण्ड है । भगवान शिव को भांग चढ़ाने का एक कारण यह भी है कि इसका सेवन करने से शरीर में गर्मी पैदा होती है, जो इस जगह में रहने में सुविधा प्रदान करती है । घोर तपस्या करनेवाले भगवान् शिवजी जब भांग का सेवन करते है तो उन्हें इस तपस्या में सुलभता प्राप्त होती है
दीक्षित ने कहा कि इस प्रकार स्पष्ट है कि समस्त संसार को चलानेवाले देवों के देव महादेव शिव ही है, जिनके कृपा मात्र से इस संसार का कल्याण होना सुनिश्चित है । पंचाक्षर मंत्र से बड़ा कोई मंत्र नहीं है ।अतः भारतवर्ष के सभी नागरिक से मेरा विनम्र आग्रह है कि सभी लोग सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच में कम से कम 108 बार या इससे अधिक बार पंचाक्षर मंत्र का जप अवश्य करें । जिस दिन सभी नागरिकों का एक साथ जप संख्या सवा करोड़ संयुक्त रूप से हो जाएगा, उस दिन कोरोनावायरस जैसी महामारी का अंत होना सुनिश्चित है स अब समय आ गया है कि मुक्तिदाता के शरण में जाकर कोरोना वायरस से मुक्ति पाया जाए।