Chandrayaan-3 and Luna-25 के बीच अंतर
Moon Mission : सबसे पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि जहां भारत का चंद्रयान-3 मून मिशन है वहीं रूस का लूना-25 मून मिशन है। चंद्रयान-3 और लूना-25 के बीच अंतर समझने से पहले हमें ये जानना महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव में यानी अंधेरे वाले हिस्से में उतरने का लक्ष्य रखते हैं। चांद के दक्षिणी ध्रुव में अब तक किसी भी अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक उतरने में सफलता नहीं मिली है।
Chandrayaan-3 और Luna-25 के बीच विशेषता
चंद्रयान-3 और लूना-25 के मिशनों के बारे में बात करते समय हमें उनके बीच कई विशेषताओं का ध्यान देना है। भारत ने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक प्रक्षिपण किया था, जबकि रूस ने करीब पांच दशक के बाद, 11 अगस्त को अपने मून मिशन ‘लूना-25’ को प्रारंभ किया।
लैंडिंग की यात्रा
चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की यात्रा 23 अगस्त, 2023 को होगी, जबकि लूना-25 की यात्रा 21 अगस्त को चांद की सतह पर पूरी हो सकती है। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक, लूना-25 की यात्रा धीमी हो सकती है और चंद्रयान-3 शायद पहले चांद की सतह पर लैंड कर सकता है।
अनुसंधान के लक्ष्य
दोनों मिशनों का मुख्य उद्देश्य चांद पर विभिन्न अनुसंधान कार्यों को पूरा करना है। चंद्रयान-3 के पास एक 6-चक्कों वाला रोवर है जो चांद की सतह पर गवाही और आकलन कार्यों को संभावी बनाता है। वहीं, लूना-25 में एक लैंडर और एक रोवर है, जो कि चांद पर विभिन्न परिस्थितियों की जांच करेंगे।
समय की अहमियत
चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह पर पहुंचने में 33 दिन का समय लगेगा, जबकि लूना-25 को सिर्फ 10 दिनों में चंद्रमा तक पहुंचने में कामयाबी मिली है। इसका मुख्य कारण चंद्रयान-3 के लिए धरती और चंद्रमा के बीच के गुरुत्वाकर्षण बल की अधिकता है, जबकि लूना-25 में उपयोग होने वाली रॉकेट की शक्ति अधिक है और वह ज्यादा ईंधन सह सकती है।
चंद्रयान-3 और लूना-25 के मिशन चांद पर वैज्ञानिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण कदम हैं। इन मिशनों से हमें चांद की सतह के रहस्यों का पर्दाफाश हो सकता है और हमारे अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में नए दरवाजे खुल सकते हैं। दोनों देशों के मिशन की सफलता ने अंतरिक्ष में नए उत्कृष्ट स्तरों की ओर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
निष्कर्ष
चंद्रयान-3 और लूना-25 के मिशन चंद्रमा की सतह पर नए अनुसंधान क्षेत्रों की ओर बढ़ते कदम हैं। इन मिशनों से हमारे वैज्ञानिक ज्ञान में नई दिशाएँ खुल सकती हैं और हम चंद्रमा के रहस्यों को समझकर अंतरिक्ष के अनगिनत रहस्यों की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।