100 साल बाद देश कहां होगा इसे 130 करोड़ लोगों को आज तय करना होगा : अमित शाह

विजय श्रीवास्तव
आजादी के समय स्वराज, स्वदेशी व स्वभाषा देश को मिला : अमित शाह
-2014 के बाद सच्चे अर्थो में हिन्दी के लिए कार्य हो रहा है : हरिवंश नारायण
-मोदी जी ने हिन्दी को विश्व पटल पर गौवान्वित किया है : सीएम योगी
-आज सयुंक्त राष्ट्र संघ भी हमारें हिन्दी को सम्मान दे रहा है : अजय कुमार मिश्र

वाराणसी। भारत सरकार के गृह मंत्रालय राजभाषा विभाग द्वारा वाराणसी के दीनदयाल हस्तकला संकुल में दो दिवसीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का उद्घाटन आज केन्द्रीय गृहमंत्री व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया।
इस दौरान मुख्य अतिथि के पद से सम्बोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि हमारें लिए यह गर्व का विषय है कि पहली बार राजधानी दिल्ली के गलियारों से निकाल कर प्रथम अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन विश्व की प्राचीनतम नगरी काशी में करने अवसर मिला है। वैसे यह कार्य बहुत पहले ही हो जाना चाहिए। हमनें 2019 में ही इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिया था लेकिन दो वर्ष कोरोना के चलते नहीं हो सका लेकिन अब यह अमृत महोत्सव में इसे साकार रूप देने का अवसर मिला है लेकिन मेरा मानना है कि कोई भी आन्दोलन तब तक सफल नहीं होती है जबतक वह जनआन्दोलन में परिवर्तित नहीं होती है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा है अमृत महोत्सव हमारें लिए आजादी के लडाई में जिन लोंगो ने यातनाएं सही, जान गवायी उन्हें याद व श्रद्धाजंली देने का समय है ही इसके साथ युवाओं के लिए प्रेरणा देने के साथ संकल्प का भी वर्ष होगा। अब इसी 130 करोड़ जनता को तय करना होगा कि जब अमृत महोत्सव के बाद जब देश आजादी के 100 वर्ष मना रहा होगा तो देश कहां होगा, दुनिया में भारत का स्थान कहां होगा, इसके साथ चाहे विकास की बात हो, आर्थिक विकास की बात हो या किसी भी क्षेत्र की बात हो हम उस समय कहां होगें। यह हमें तय करना होगा और इसके लिए इस अमृत काल में हमें संकल्पित होकर पूरा करना होगा। हमें यह संकल्प लेना होगा कि जब 100 वर्ष पूरे हो तो हमें अपने हिन्दी व राजभाषा के अलावा किसी भी दूसरे विदेशी भाषा का सहयोग लेने की जरूरत न हो।


श्री शाह ने कहा कि महात्मा गांधी जी के अथक प्रयास से हमने आजादी की जंग जीत ली। जिससे हमें स्वराज, स्वदेशी व स्वभाषा की आजादी मिली लेकिन सच्चें अर्थों में हमें स्वराज तो मिला लेकिन स्वदेशी व स्वभाषा बहुत पीछे छूट गया। 2014 के बाद पहली बार पीएम मोदी जी ने स्वदेशी व स्वभाषा को आगे बढाने का काम किया है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अथक प्रयासों के चलते आज हिन्दी व राजभाषा को समृद्ध करने की दिशा में बहुत काम हुए है। आज वैश्विक स्तर का कोई मंच हो या संयुक्त राष्ट्रसंघ का मंच हो पीएम मोदी ने राजभाषा को गौरवान्वित करने का कार्य किया है।


उन्होंने कहा कि हिन्दी के उद्भव व विकास में काशी का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बहुत से हिन्दी विद्वानों ने यहां हिन्दी के लिए कार्य किया जिससे हिन्दी काफी समृद्ध हुई। हिन्दी के बारें में बताते हुए कहा कि 1893 में आर्य समाज का आन्दोलन चला जिसमें पहली बार उर्दू को चुनौती दी गयी। वीर सावरकर के बारें में बताते हुए कहा कि सावरकर ने हिन्दी के लिए बहुत काम किया उन्होंने ही हिन्दी का शब्द कोश बनाया कई ऐसे शब्द दिए जो आज भी प्रचलित है लेकिन पहली बार हिन्दी का पाठयक्रम कैसा हो इसकी चिन्ता मदन मोहन मालवीय ने किया और उसे धरातल पर उतारा। तुलसी दास की अरबी में लिखी रामचरित मानस ने जन-जन को जोडने का कार्य किया। इस महाग्रन्थ में आर्दश पिता कैसा हो, आदर्श भाई कैसा हो, आदर्श पत्नी कैसी, आदर्श शासन कैसा हो और यहा तक आदर्श शत्रु कैसा हो उसे बताने का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है।


श्री शाह ने कहा कि जब तक कोई भाषा प्रशासन की भाषा, न्याय की भाषा की, अनुसंघान की भाषा नहीं बनती है तबतक सच्चे अर्थो में वह स्वभाषा नहीं हो सकती है। उन्होंने आहृवान किया कि हमें आज नये शब्द कोष बनाने होंगे इसके साथ ही हिन्दी का लचीली बनाना होगा। उसे घर-घर, जन-जन की भाषा बनाना होगा। तभी सच्चे अर्थों में हिन्दी व राजभाषा समृद्ध व विकास कर सकेगी।


उक्त अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिहं ने कहा कि हिन्दी का एक समृद्धशाली इतिहास रहा है। एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है जिसके कारण हमने हिन्दी को राजभाषा के रूप में चुना है और अन्य राज्यों की क्षेत्रिय भाषा है उनकी एक विशेषता है कि उन्हें देवनागरी लिपि में लिखा जा सकता है। आज राज्यों में बोली जाने वाली कोई भी भाषा हो उससे राजभाषा हिन्दी का कहीं न कहीं कोई आन्तरिक सम्बन्ध है। हिन्दी आजादी के समय की क्रान्ति की भाषा रहीं। जिसने लोंगो में जोश भरने का काम किया। कई बाहरी लोंगो ने हमारी देशी भाषा के सहारें अपने बिजेनस को बढाया। विश्व में राजनीतिक बदलाव, आर्थिक क्रान्ति, सामाजिक क्रान्ति में भाषा का सदैव ही बहुत महत्व रहा है। जो काम पहले होना चाहिए वह काम 2014 के बाद अब हिन्दी व अन्य भाषाओं के लिए अब हो रहा है। इसका श्रेय गौरवशाली प्रधानमंत्री मोदी जी के साथ गृहमंत्री अमित शाह को जाता है।

आज चाहे तकनीकी हो चाहे अन्य कोई भी क्षेत्र हो उसमें हिन्दी व क्षेत्रिय भाषाओं के दिशा में उल्लेखनीय कार्य हुए है। आज 2014 के बाद हमारी संसद में जितनी क्षेत्रिय भाषाओं में बोलने का काम अब हो रहा है वह हिन्दी व भाषाओं के विकास की श्रृंखला की पटकथा लिख रही है। आधुनिक हिन्दी का भविष्य कैसा होगा, उसका खाका जैसा हमारें प्रधानमंत्री मोदी जी व गृहमंत्री अमित शाह ने तैयार किया है, उससे निश्चय ही हिन्दी और अन्य क्षेत्रिय भाषाएं और समृद्ध ओैर विकसित होगीं।


उक्त अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने कहा कि जिस कार्य को बहुत पहले हो जाना चाहिए वह कार्य आज 75 वर्षो के बाद देश की अध्यात्मिक नगरी काशी से हो रहा है। यह हमारें लिए गौरव की बात है। हिन्दी अभिव्यक्ति की भाषा है। प्रदेश सरकार आज हिन्दी और राजभाषा को समृद्ध करने का प्रयास कर रही है। आज सरकार शासन-प्रशासन की भाषा बनाने का प्रयास कर रही है। आज मोदी जी भी देश के अन्दर ही नहीं विश्व में लगातार हिन्दी को उसका उचित स्थान दिलाने व उसे समृद्धशाली बनानें में लगे हुए है। काशी से हिन्दी का बहुत लगाव रहा है और हिन्दी का यहां बहुत ही विकास हुआ है। आज सभी लिपि से जुडी हुई देवनागरी लिपि है जिसके माध्यम से हम एक दूसरे भाषा के मर्म को समझते हैं और आगे बढाते हैं। आज मारीशस में लोगों का रामचरित मानस के प्रति अथाव श्ऱद्धा है। वे जब भारत से गये तो मजदूर थे लेकिन वे इस ग्रन्थ को साथ ले गये। वे पढे लिखे नहीं थे लेकिन आज देवनागरी लिपि के माध्यम से आज वे उसके अर्थ को समझते है। हमने लोक भाषाओं को सदैव महत्व दिया है। काशी में तो एक लम्बी परम्परा लोकभाषा के विकास की चली यहां तक अन्य विद्वानों के अलावा भारतेन्दु ने तो यहा तक कहा कि निज भाषा उन्नत की बात कहीं। आजादी के लडाई में हिन्दी ने अपनी सार्थक भूमिका निभाई और देखते-देखते ही गांधी जी के नेतृत्व में आजादी की पटकथा लिखी। इस अमृत महोत्सव में अपने वीर सपूतों को इससे अच्छी श्रद्धाजंली और कुछ हो ही नहीं सकती कि आज हम हिन्दी को समृद्ध व विकास के लिए संकल्पित हो रहे हैं। आज पूरे देश को एक साथ हिन्दी से कैसे जोडा जाये इसके लिए प्रयास करना होगा। हिन्दी को जन भाषा के साथ प्रशासन की भाषा बनाने की दिशा में प्रयास करना होगा। इसके लिए हमने कई हिन्दी व राजभाषा के उत्थान के लिए पुरस्कार की घोषणा की है। आज पीएम मोदी जी ने एक भारत श्रेष्ट भारत के रूप में विश्व में देश स्थापित करने का काम किया है। इन सात वर्षो में विश्व की निगाह में भारत की साख बढी है। यह गौरव की बात है।


उक्त अवसर पर गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि जब देश का संविधान बना तो यह निश्चय किया गया था कि आगामी 15 वर्षो तक हिन्दी के सहयोग के लिए अग्रेंजी को भी साथ लेकर चला जाए लेकिन सच्चे अर्थो व गंभीरता से इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ। अब वह काम 2014 के बाद अमृत महोत्सव में होने जा रहा है। आज जिस तरह से पीएम मोदी ने वैश्विक स्तर के साथ देश में ‘मन की बात’ के माध्यम से हिन्दी में संवाद किया है उससे आज हिन्दी बहुत ही समृद्ध हुई है। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय जिस तरह से सम्पर्क भाषा के रूप में हिन्दी ने काम किया। उससे देश का प्रमाणिक आजादी भी मिली। जब 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया और 26 जनवरी 1950 को जब हमारा संविधान लागू हुआ तो यह निश्चय हुआ कि आज से हमारी राजभाषा हिन्दी होगी लेकिन इसके साथ ही यह भी हुआ कि आगामी 15 वर्ष तक हिन्दी के सहयोग के लिए अंग्रेजी को साथ में लेकर चलेंगे लेकिन यह नहीं हो सका आज भी हम अंग्रेजी को लेकर चल रहे हैं। यह कार्य अब 2014 के बाद शुरू हुआ और आज हम सच्चे अर्थो में हिन्दी व राजभाषा के उत्थान की दिशा में काम कर रहे हैं। आज सयुंक्त राष्ट्र संघ भी हमारें हिन्दी को सम्मान देने के लिए कई काम किया है। यह सब पीएम मोदी व हमारें गृह मंत्री अमीत शाह के कारण संभव हुआ है। आज हिन्दी व राजभाषा के विकास के क्रम में 524 नगर भाषा कार्यान्वयन का गठन किया गया है।


उद्घाटन सत्र का श्री गणेश राष्ट्रगान व अतिथियों के दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। राजभाषा विभाग की सचिव अंशुली आर्या ने मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथि का स्वागत किया जबकि धन्यवाद राजभाषा की सह सचिव डॉ मीनाक्षी जौली ने किया। संचालन नरेश मोहन व डॉ कुमुद शर्मा ने किया। इस दौरान अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन की एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री महेन्द्र नाथ पाण्डेय, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, व निशिथ प्रामाणिक के साथ हृदय नारायण दिक्षित, पूर्व कुलपति प्रो राम मोहन पाठक सहित अन्य लोग उपस्थित रहें।

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